उत्तर प्रदेश में किसान यात्रा के बहाने चुनावी समीकरण साधने निकले राहुल गांधी लगातार जिलों का दौरा कर खाट सभाएं आयोजित कर रहें हैं। रणनीतिकार प्रशान्त किशोर की सलाह पर इस बार कांग्रेंस आलाकमान ने यूपी में ब्राह्मण कार्ड को अपना तुरूप का पत्ता बनाया हुआ है। , ‘न जात पर, न पात पर, बटन दबाओ हाथ पर’ का नारा देने वाली कांग्रेस अपना ब्राह्मण कार्ड दुरूस्त करती हुई दिखाई दे रही है।
- राहुल गांधी की किसान यात्रा को लेकर कांग्रेस महामंत्री उमेश पंडित ने मथुरा में पोस्टर लगवाये हैं।
- इन पोस्टरों में राहुल गांधी को पंडित बताया गया है।
- मालूम हो कि ये पोस्टर पार्टी के आधिकारिक पोस्टर की तर्ज पर ही तैयार किये गयें हैं।
- पार्टी के आधिकारिक पोस्टर और इन पोस्टर में फर्क है तो सिर्फ पंडित शब्द का।
- इन पोस्टरों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नाम के आगे ”पं.” जोड़ दिया गया है।
- कांग्रेस इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि यूपी की सियासत में जातीय समीकरणों काफी अहम होते हैं।
- कांग्रेस भले ही कहती हो कि वह जाति और धर्म की राजनीति नहीं करती है।
- लेकिन 27 सालों का यूपी में सूखा समाप्त करने के लिए वह जाति कार्ड खेलने से नहीं चूकना चाहती है।
- कांग्रेस की नजर इस चुनाव में खास तौर से यूपी के ब्राह्मण मतदाताओं पर टिकी हुई है।
- ब्राह्मण कार्ड के जरिये कांग्रेस यूपी की सत्ता में वापसी करने का ख्वाब देख रही है।
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शीला दीक्षित हैं पार्टी का ब्राह्मण चेहराः
- दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को यूपी में सीएम उम्मीदवार घोषित करके पार्टी ब्राह्मणों को संदेश दे चुकी है।
- शीला दीक्षित को खुलेआम बड़े-बड़े पोस्टरों में न सिर्फ ब्राह्मण उम्मीदवार लिखा जा रहा है।
- बल्कि कई स्थानीय नेता खुद को संभावित उम्मीदवार बताते हुए गर्व से अपने को ब्राह्मण उम्मीदवार लिख रहे हैं।
- कांग्रेस इस चुनाव में बाह्मण कार्ड का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही है।
- बता दें कि, 1989 में यूपी में कांग्रेस के ही एन डी तिवारी आखिरी ब्राह्मण सीएम थे।
- उसके बाद बनी सभी सरकारों में कोई ब्राह्मण सीएम नहीं बना।
- यही वजह है कि पार्टी का कैडर अब खुलेआम इसे प्रदर्शित करने लगा है।