उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में टिकट वितरण को लेकर जो मचा घमासान मचा हुआ था, जिसके बाद सभी की ओर से कई प्रकार के कयास लगाये जा रहे थे। कुछ लोगों का मानना था कि, पार्टी में चुनाव से पहले समझौता हो जायेगा, वहीँ कुछ लोगों का मानना था कि, मुख्यमंत्री अखिलेश अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोग कह रहे थे कि, अखिलेश यादव चुनाव के लिए कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं। सभी अटकलों पर सपा प्रमुख ने प्रेस कांफ्रेंस कर विराम लगा दिया है, प्रेस कांफ्रेंस में सपा प्रमुख ने सीएम अखिलेश को 6 साल के लिए सपा से निष्काषित कर दिया है।

समाजवादी पार्टी में ‘बदले रास्ते’:

उत्तर प्रदेश की राजनीति के गलियारे के ताजा घटनाक्रमों पर नजर डालें तो समाजवादी पार्टी और परिवार के जहाज का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त होकर टूटता नजर आ रहा था हालाँकि, कहने को तो पार्टी में मौजूदा मतभेद टिकट वितरण पर हुआ था, लेकिन इस मतभेद की टीस बहुत ही पुरानी थी, जब मुख्यमंत्री अखिलेश ने कौमी एकता दल के विलय की सिर्फ खबर पर विलय का समर्थन करने वाले सपा प्रमुख और शिवपाल सिंह के करीबी मंत्री बलराम यादव को कैबिनेट से हटा दिया था। हालाँकि, सपा प्रमुख के दबाव के बाद अखिलेश ने अपना फैसला बदल लिया था।

सीएम अखिलेश ने मामले को खत्म करने के बजाय शिवपाल सिंह यादव से उनके सभी विभाग छीन लिए, जिसके बाद इस्तीफा देने पर उतारू शिवपाल सिंह यादव को सपा प्रमुख ने प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। गौर करने वाली बात ये है कि, उस वक़्त पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव थे, सपा प्रमुख ने भाई का पक्ष लेते हुए मामले में अखिलेश की अनदेखी कर दी, बस यहीं से शुरू हुआ मतभेद का किस्सा जिसने समाजवादी साइकिल को दो टुकड़ों में बाँट दिया है।

परिवार का झगड़ा सड़कों पर उतरा था:

सपा प्रमुख ने अखिलेश यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर शिवपाल सिंह यादव को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था। जिसके बाद अखिलेश यादव के समर्थक सड़कों पर उतर आये थे। इतना ही नहीं अखिलेश समर्थकों ने सपा प्रमुख के फैसले के खिलाफ ‘मुलायम मुर्दाबाद’ के नारे लगाये थे।

जिसके बाद कहा जा सकता है कि, उस रोज समाजवादी परिवार का झगड़ा जो सड़कों पर उतारा गया था, वो आज भी सड़कों पर ही है। सपा प्रमुख ने भी पार्टी को बचाने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश ने अपने बागी तेवरों से ये साबित कर दिया था कि, उनके और समाजवादी पार्टी के रास्ते अब अलग हो चुके हैं।

प्रकृति का एक नियम है कि, जब दो शक्तियां आपस में टकराती हैं तो नुक्सान को रोक पाना असंभव होता है। समाजवादी पार्टी में दो महाशक्तियां अपने अस्तित्व के लिए टकरा रही थी, जिसके बाद सपा प्रमुख ने सीएम अखिलेश को पार्टी से बाहर कर अपने ही हाथों से जिस पार्टी को खड़ा किया था, उसके टुकड़े कर दिए, जिसकी कीमत समाजवादियों को आगामी विधानसभा में चुकानी पड़ सकती है।

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