उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में मचा घमासान अभी तक शांत नहीं हुआ है, जिसके चलते आगामी विधानसभा चुनाव में सपा पर ‘नाम और चिन्ह’ फ्रीज किये जाने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। वहीँ समाजवादी पार्टी में सुलह की सभी कोशिशें बेकार हो गयी हैं।

मैराथन बैठक से नहीं निकला नतीजा:

  • समाजवादी परिवार की कलह अब समाजवादी पार्टी के विनाश का कारण बनने की ओर बढ़ रही है।
  • सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और CM अखिलेश के बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की लड़ाई बढ़ती ही जा रही है।
  • जिसके चलते सुलह की सभी कोशिशें बेकार साबित हो रही हैं।
  • वहीँ चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ऐसे संकेत दिए हैं कि, यदि परिवार ने आपस में सुलह नहीं की तो चुनाव निशान फ्रीज हो सकता है।
  • गौरतलब है कि, सपा प्रमुख अपने भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखने के लिए दिल्ली गए थे।
  • जिसमें अमर सिंह भी सपा प्रमुख के साथ शामिल हुए थे।
  • वहीँ मंगलवार को लखनऊ में सपा प्रमुख और सीएम अखिलेश के बीच 3 घंटे तक मैराथन बैठक चली थी।
  • लेकिन, बैठक में शिवपाल सिंह यादव के पहुँचते ही बात बिगड़ गयी।

CM की रार सिर्फ शिवपाल के साथ:

  • समाजवादी पार्टी में चल रहे झगड़े की शुरुआत से लेकर अब तक के सभी घटनाक्रमों पर नजर डालें तो कहा जा सकता है कि, CM अखिलेश की रार अमर सिंह या किसी और के साथ नहीं बल्कि शिवपाल सिंह यादव के साथ ही है।
  • CM अखिलेश सिर्फ अमर सिंह के कंधें पर बन्दूक रखकर अपने चाचा पर निशाना लगा रहे हैं।
  • वहीँ CM अखिलेश को ये सारा पाठ पढ़ाने में प्रो० रामगोपाल यादव का हाथ हो सकता है।
  • समाजवादियों में एक कहावत प्रचलित है कि, रामगोपाल जिसकी तरफ पार्टी में उसीकी चलती है।
  • शायद इसी कहावत से प्रभावित होकर CM अखिलेश ने वो कर दिया जो औरंगजेब ने शाहजहाँ के साथ किया था।
  • गौरतलब है कि, CM अखिलेश खुद को ये नाम दिए जाने पर काफी भड़के थे।
  • जिसे वे खुद जानबूझकर या किसी के बहकावे में स्वयं ही चरितार्थ कर चुके हैं।

नेताजी से चुनाव में पंगा भारी पड़ सकता है:

  • मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा प्रमुख के साथ जो किया है, वो उन्हें आने वाले चुनाव में भारी नुक्सान पहुंचा सकता है।
  • CM अखिलेश ने भले ही पार्टी स्तर पर सपा प्रमुख को चुनौती दे दी हो,
  • लेकिन सूबे की जनता के लिए सपा प्रमुख का जो कद है, CM अखिलेश उसके सामने बौने दिखाई देते हैं।
  • इसके अलावा विकास के नाम पर भी मुख्यमंत्री अखिलेश के पास जनता को दिखाने के लिए कुछ ख़ास है नहीं।
  • ऐसे में अगर चुनाव के दौरान सपा प्रमुख अपने बेटे के खिलाफ ही प्रचार करेंगे तो,
  • “बेशक CM अखिलेश को नुक्सान उठाना पड़ सकता है”।
  • इसके साथ ही सपा प्रमुख ने जिस पार्टी को फर्श से अर्श तक पहुँचाया, उसे भी इतनी आसानी से नहीं छिनने देंगे।

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