आज का दिन समजावदी पार्टी के लिए बेहद खास है। बिखरे हुए समाजवादी आंदोलन को सहेजने के लिए 1992 में 4-5 नवंबर को लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में हुए दो दिवसीय अधिवेशन में देश भर के समाजवादी छत्रप एकत्र हुए थें। इस दौरान समाजवादी पार्टी की स्थापना की गई और मुलायम सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। उसी तर्ज पर समाजवादी आज पार्टी की 25 वीं वर्षगांठ पर समाजवादी कलह को थामने के लिए देशभर के दिग्गज जुटें। यहां मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव को सर्वमान्य नेता के तौर पर चुना गया। शिवपाल ने साफ शब्दों में कहा कि वह कभी भी उनकी राह में रोड़ा नहीं बनेगे।
- बात उन दिनों की करें तो जब पार्टी बनी उस समय जनेश्वर मिश्र पार्टी के उपाध्यक्ष बने और कपिल देव सिंह महासचिव चुने गये।
- पिछले 24 सालों में समाजवादी पार्टी ने शानदार सियासी सफर तय किया है।
- इस पार्टी के दम पर ही मुलायम सिंह यादव तीन बार खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
- पार्टी कि सफलता ही थी जिसने उनके बेटे अखिलेश को सबसे कम उम्र में सीएम बनाया।
- मुलायम के बाद अखिलेश पार्टी का चेहरा बन कर उभरें।
- संघर्ष के साथ मतभेद सपा की पहचान बनते गये और पार्टी आगे बढ़ती गयी।
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1967 में पहली बार विधायक बने मुलायमः
- मालूम हो कि मुलायम ने एकाएक सपा की स्थापना नहीं की थी।
- बल्कि यह उनके लम्बें संघर्षों का नतीजा था।
- समाजवादी पार्टी की स्थापना से पहले भी मुलायम से पास 25 वर्षों लंबा और सक्रिय राजनीतिक अनुभव था।
- मुलायम सिंह यादव पहली बार 1967 में विधायक बने थे।
- पार्टी की स्थापना से पहले 1989 में मुलायम पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
- मुलायम ने अगस्त 1992 में एक नया दल बनाने का फैसला कर लिया था।
- लेकिन इस बीच सितंबर 1992 में देवरिया में किसानों पर गोला चल गयी।
- मुलायम लखनऊ से देवरिया के लिए रवाना हुए लेकिन उन्हें गिरफ्तार करके सेंट्रल जेल शिवपुर वाराणसी में भेज दिया गया।
- जेल से रिहा होते ही मुलायम जनेश्वर मिश्र की पत्नी के निधन की खबर पा कर बलिया चले गयें।
- यहां से वापस लौट कर वह समाजवादी अधिवेशन की तैयारियों में जुट गये।
- 5 नवंबर 1992 को मुलायम के नेतृत्व में सपा का गठन किया गया।
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