तीसरे चरण का चुनाव प्रचार आज थम जायेगा जहाँ 19 फ़रवरी को मतदान होने हैं. बसपा और भाजपा के अलावा सपा-कांग्रेस गठबंधन आज आखिरी दिन प्रचार अभियान में जुटा हुआ है. लेकिन सपा के लिए ये चरण अहम होगा क्योंकि 2012 चुनाव में समाजवादी पार्टी को इन जिलों ने बड़ी संख्या में सीटें दी थी. जिन 12 जिलों में चुनाव है उसे सपा का गढ़ कहा जाता है और ऐसे में अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने किले को सुरक्षित रखने की होगी. वहीँ बीजेपी और बसपा सपा के किले में सेंध लगाकर उनसे कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है.
तीसरे चरण में फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी और सीतापुर जिले की 69 सीटों पर 19 फरवरी को वोट डाले जायेंगे.
मुलायम सिंह और शिवपाल यादव का इन जिलों की अधिकांश सीटों पर प्रभाव रहा है और इन जिलों की कुल 69 में से 55 सीटों पर कब्ज़ा जमाकर सपा ने सत्ता पर काबिज हुई थी. वहीँ बीजेपी और बसपा को 6-6 सीटों पर जीत मिली जबकि कांग्रेस के खाते में 2 सीट थी. सपा और कांग्रेस के गठबंधन में आने के बाद अब कहा जाये तो कुल 57 सीटें हैं जो तीसरे चरण में दांव पर होंगी. ऐसे में समाजवादी पार्टी के लिए अपने गढ़ को बचाने का दारोमदार अखिलेश यादव पर है.
लेकिन सपा में कलह के बाद अखिलेश यादव के सामने इन सीटों पर सपा की जीत सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है. मुलायम सिंह यादव और शिवपाल के प्रभाव वाले इन इलाकों में सपा को कई स्थानों पर आपसी कलह के बाद विरोध का सामना करना पड़ा है. ऐसे में सपा को कितनी सफलता मिलती है ये तो 11 मार्च को घोषित होने वाले परिणाम ही तय करेंगे लेकिन तीसरे चरण में मतदान सभी दलों के लिए बहुत अहम होने वाला है.
विपक्षी दलों ने कई मुद्दों पर सपा को घेरा:
बसपा सुप्रीमो लगातार अखिलेश यादव सरकार पर अपराध पर लगाम ना लगा पाने के लिए दोषी ठहराती हैं. बसपा सुप्रीमो अपनी हर सभा में अखिलेश यादव की नीतियों को गलत बताने में जुटी हुई हैं. वहीँ बीजेपी भी कानून व्यवस्था और अवैध खनन जैसे मुद्दों को लेकर सपा पर निशाना साध रही है. पीएम मोदी सहित तमाम बीजेपी के नेता सपा-कांग्रेस गठबंधन पर हमले करते रहे हैं. पहले दो चरण के चुनाव समाप्त होने के बाद अब एक तरफ सपा को तीसरे चरण से काफी उम्मीदें होंगी तो वहीँ विपक्षी दल सपा को उसी के गढ़ में पीछे छोड़ने की कवायद में जुटे हुए हैं.