[nextpage title=”२०१२” ]
उत्तर प्रदेश चुनाव अब पूर्वांचल की तरफ बढ़ चला है.लेकिन हम बात करते हैं 2012 चुनाव और उसके परिणामों पर जहाँ 49 सीटों पर मुकाबला था. इन 49 सीटों में सबसे ज्यादा 27 सीटों पर कब्ज़ा जमाया था. लेकिन अबकी चुनाव में सपा पर फिर से उस जीत के सिलसिले को दोहराने का दबाव है तो वहीँ बसपा और भाजपा इन इलाकों में कड़ी टक्कर देती दिखाई दे रही है.
इन तीन जिलों में सपा पर रहेगा दबाव:
[/nextpage]
[nextpage title=”२०१२” ]
कुल 49 से 27 पर सपा ने वहीँ बसपा ने 9 और भाजपा ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी.जबकि कांग्रेस महज 4, NCP और QED को 1-1 सीट से संतोष करना पड़ा था. जिलावार सीटों पर नजर डालें तो मतदान का प्रतिशत अच्छा नहीं रहा था और 55.09 % मतदान हुआ था. अब ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि शायद इस दफे इन इलाकों में मतदान का प्रतिशत बेहतर हो.
आजमगढ़ की 10 से 9 सीटों पर सपा ने अपना दम दिखाकर साबित कर दिया कि आजमगढ़ को पूरब का इटावा क्यों कहा जाता है. वहीँ बलिया में 7 से 5 पर जीत दर्ज सपा ने यहाँ भी अपनी ताकत दिखाई और देवरिया में भी 7 से 5 सीटों पर कब्ज़ा किया. लेकिन 2017 में सपा कितनी सीटों पर अपना दबदबा कायम रख पाती है, ये तो परिणाम ही बताएगा. वहीँ गोरखपुर में सपा को 9 से केवल एक सीट मिली और कुशीनगर में 7 में से 3 सीटों पर जीत मिली थी.
बसपा का देवरिया में नहीं खुला था खाता:
बसपा की बात करें तो 49 में से 9 सीटों पर बसपा ने जीत दर्ज की. गोरखपुर में 9 में से 4 सीटों के अलावा कुछ खास नहीं था. जबकि देवरिया में पार्टी खाता नहीं खोल पायी थी. अब देखना दिलचस्प होगा कि इन इलाकों में बसपा कैसा प्रदर्शन करती है.
भाजपा आजमगढ़ और मऊ में नहीं खोल सकी थी खाता:
वहीँ अगर बीजेपी की बात करें तो 7 सीटों पर जीतने वाली पार्टी का मऊ और आजमगढ़ में खाता नहीं खुला था. गोरखपुर में ही पार्टी 9 में 3 सीटों पर जीत दर्ज कर पायी थी. ऐसे में पार्टी के लिए आजमगढ़ और मऊ के तिलिस्म को तोड़ने की चुनौती होगी.
फ़िलहाल सभी राजनीतिक दलों का दावा है कि वो सबसे अधिक सीटों पर चुनाव जीत रहे हैं, हालाँकि इन इलाकों में अभी मतदान 4 मार्च को होगा और परिणाम 11 मार्च को घोषित होंगे.
[/nextpage]