सीएम अखिलेश यादव भले ही विकास के सहार यूपी के चुनावों में जाने का दम भरते नजर आ रहे हों लेकिन पिता मुलायम को यह बात अच्छी तरह से मालूम है कि बिना जातीय समीकरण दुरस्त किये यूपी चुनाव में फतेह हासिल नहीं की जा सकती है। यही कारण कि वह अखिलेश के कई फैसलों को पलट चुकें हैं। इसके साथ ही मुलायम ने कई ऐसे फैसले कियें हैं जिनसे अखिलेश सहमत नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की सियासत में मुस्लिम मतों की अहमियत से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मुस्लिम मतदाता हमेशा संगठित औऱ रणनीति के तहत वोट करते हैं।
- इस बार यूपी चुनावों में मुस्लिम मतों पर एक यो दो नहीं बल्कि तीन प्रबल दावेदार हैं।
- मुस्लिम मतदान पैर्टन को देखें तो वह बीजेपी के खिलाफ सबसे मजबूत दल के पक्ष में लामबंद होते हैं।
- गौरतलब है कि यूपी की सियासत मे बीते दो दशको से मुसलमान हमेशा समाजवादी पार्टी के साथ रहा है।
- लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में मुस्लिमों ने मुलायम का साथ छोड कांग्रेस पर भरोसा किया था।
- अब यूपी में उपजे सियासी हालातों में उनके सामने संकट खड़ा हो गया है कि वह किसके पाले में जायें।
- उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख राजनैतिक दल मुस्लिम मतों पर अपनी दावेदारी जता रहें हैं।
- वैसे तो प्रदेश में मुस्लिम मतों पर सबसे बड़ी दावेदारी समाजवादी पार्टी की है।
- लेकिन इस बार कांग्रेस औऱ बीएसपी भी मुस्लिम मतो पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहें हैं।
- मायावती लखनऊ रैली में मुस्लिमों से सावधान रहने की अपील कर चुकीं हैं।
- वहीं, कांग्रेस भी मुस्लिम मतों पर पैनी नजर गड़ाये हुए है, कांग्रेस की दावेदारी भी कम नहीं आंकी जा रही है।
- इस बीच एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी की तरफ भी युवा मुस्लिमो का झुकाव दिखाई दे रहा है।
‘यूपी की सत्ता’= दलित-ब्राह्मण-मुस्लिम!
मायावती का प्रबल दावाः
- मुलायम के कुनबे मे मचे घमासान के बाद मुस्लिमों के बडें तबके को यह लगने लगा है कि बीजेपी के खिलाफ मुलायम औऱ सपा अब मजबूत नही है।
- इस लिए वह बीएसपी को बीजेपी के मुकाबले में अधिक मजबूत मान रहा है।
- ऐसे मे बीएसपी को प्रदेश के मुस्लिम मतों से बडी उम्मीदे है।
- यही वजह है कि मायावती ने अपनी लखनऊ रैली मे मुस्लिमों का खासतौर पर जिक्र किया हैं।
कांग्रेस भी पीछ नहीः
- एक तरफ जहां सपा और बसपा मुस्लिम मतों पर अपनी प्रबल दावेदारी पेश कर रहें हैं वहीं कांग्रेस भी पीछे नहीं है।
- कांग्रेस का मानना है कि भाजपा से हाथ मिला चुकीं मायावती पर मुस्लिम भरोसा नहीं करेंगे।