उत्तर प्रदेश के मुखिया के लाख नसीहतों के बाद भी पुलिसकर्मी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। पुलिस को जनता की सुरक्षा व सेवा के लिए बनाया गया है। लेकिन अब यही पुलिस खुद ही वर्दी का रौब दिखाकर दूसरो की जमीन हड़पने में लगे है। अमेठी के शुकुलबाजार में डीजीपी ऑफिस में तैनात एक सिपाही ने दबंगई के बल पर पूर्व प्रधान के घर के सामने जबरन दीवार खड़ी करवा दी। शिकायत लेकर पूर्व प्रधान का परिवार जब थाने पहुँचा तो खाकी ने भी खाकी का साथ दिया और पीड़ितों को बाद में आने का हवाला देकर चलता कर दिया। थाने से कार्यवाही न हुई तो पीड़ितों ने मदद के लिए यूपी के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से लेकर जिले के एसपी और डीएम से शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं जिस कारण न्याय की आस में पीड़ित पूर्व प्रधान के परिजन दर दर भटक रहे है।
जानकारी के मुताबिक, मामला शुकुलबाजार बाजार थानाक्षेत्र के नेवाज मदरगढ़ गांव का है। जहाँ के रहने वाले पूर्व प्रधान अकील अहमद के घर के सामने डीजीपी ऑफिस में तैनात सिपाही में दबंगई के बल पर जबरन दीवाल खड़ी करवा दी। दीवार बन जाने के कारण पूर्व प्रधान के परिजनों का घर से निकलने का रास्ता बंद हो गए जिसके बाद पीड़ितों ने दीवाल को गिराने के लिए थाने की शरण ली। पीड़ितों को तीन दिनों तक दौड़ाने के बाद थाना प्रभारी संबंधित लेखपाल को लेकर मौके पर पहुँचे लेकिन उल्टा सिपाही के पक्ष में ही फैसला सुना डाला।
डीजीपी ऑफिस में तैनात सिपाही परवेज असलम की पत्नी भी इसी जिले के मोहनगंज थाना क्षेत्र में उप निरीक्षक के पद पर तैनात है। जिस कारण खाकी भी पीड़ितों की मदद के बजाय दबंगो की मदद कर रही है। पुलिस और प्रसाशन के द्वारा कार्यवाही न होने से नाराज पीड़ित ने प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री से लेकर अमेठी के डीएम और एसपी से शिकायत की है लेकिन प्रसाशन किसी तरह की मदद करने को तैयार नहीं है। वहीं पीड़ित का कहना है कि करीब 30 साल पहले उसका मकान बना और पड़ोस में ही विपक्षियों का मकान है।
2016 में घर तक आने के लिए मेरे घर से 20 फुट आगे तक चक मार्ग का निर्माण हुआ। लेकिन सिपाही और वर्तमान ग्राम प्रधान ने घर के पहले तक रास्ता बंद कर दिया। ईर्ष्या वश तीन दिन पहले इन लोगों ने मेरे घर के सामने जबरन दीवाल खड़ी करवा दी और जब मैं शिकायत लेकर थाने गया तो कोई सुनवाई नही हुई। स्थानीय थाना प्रभारी पूरी तरह से सिपाही की मदद कर रहे है। थाना प्रभारी और सिपाही जावेद असलम पहले लखनऊ में एक साथ काम कर चुके है इसलिए वो उसी की मदद कर रहे है। सिपाही की पत्नी निदा आरसी भी इसी जिले के मोहनगंज थाने में उप निरीक्षक के पद पर तैनात है जिसका उसे फायदा मिल रहा हैं।