उन्नाव के बांगरमऊ से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर दुष्कर्म सहित अन्य संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है। आरोपों की जांच सीबीआइ से कराने का फैसला किया है। डीजीपी ने आधी रात के बाद पुष्टि की कि विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ माखी थाने में आईपीसी की धारा 336, 366, 376, 506 और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। बता दें कि मुख्यमंत्री ने मंगलवार को 24 घंटे के भीतर एसआईटी की रिपोर्ट तलब की थी। पीड़िता के पिता की हत्या की जांच भी सीबीआइ करेगी।
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद पुलिस ने देर रात विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। मामले में लापरवाही बरतने के लिए एक पुलिस क्षेत्रधिकारी व दो डाक्टरों को भी निलंबित कर दिया गया है। इससे पहले पूरे मामले की जांच के लिए उन्नाव गई एसआईटी की टीम ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय में दी थी। सरकार ने कार्रवाई का यह फैसला एसआईटी के साथ ही डीआईजी जेल और डीएम उन्नाव की अलग-अलग जांच रिपोर्ट के आधार पर देर रात किया। इसके बाद पीड़ित परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
मुख्यमंत्री ने टीम को 24 घंटे में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। एसआइटी की प्रारंभिक जांच में कई आरोपों की पुष्टि हुई है। न्यायिक अभिरक्षा में पीड़िता के पिता की मौत से पहले इलाज में लापरवाही की बात भी सामने आई है। सरकार की ओर से देर रात बताया गया कि पूरे मामले की सीबीआई जांच करेगी। इसमें पीड़िता के दुष्कर्म के आरोप और पिता की हत्या शामिल है। लापरवाही करने पर सीओ शफीपुर कुंवर बहादुर सिंह को निलंबित कर दिया गया है। पीड़िता के पिता के इलाज में लापरवाही पर सीएमएस डॉ. डीके द्विवेदी व ईएमओ डॉ. प्रशांत उपाध्याय को निलंबित किया गया है। डॉ. मनोज, डॉ. जीपी सचान और डॉ. गौरव अग्रवाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
एसएसपी कार्यालय सरेंडर करने पहुंचे भाजपा विधायक ने हाईवोल्टेज ड्रामा किया। एसएसपी कार्यालय हजरतगंज में विधायक और उसके गुर्गों ने कई पत्रकारों से भी मारपीट की। इस दौरान भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
जब मीडिया ने विधायक से बात करने की कोशिश की, तो विधायक के गुर्गो ने मीडिया के साथ भी बदसलूकी की। इस मौके पर हजरतगंज पुलिस भी विधायक के गुर्गों को बदसलूकी करते वक्त मौन होकर देखती रही। जब मीडिया ने विरोध किया, तो हजरतगंज कोतवाली प्रभारी आनंद शाही खुद विधायक के गुर्गों को रोकने के बजाय मीडिया से उलझने लगे। ये भाजपा सरकार की पुलिस है। जो भाजपा कभी सपा सरकार में पुलिस को गुंडा बताया करती थी। अब विधायक के गुर्गों को बचाने के लिए मीडिया से ही भाजपा सरकार में भी उलझ रही है।
जानकारी के मुताबिक, विधायक बुधवार रात 11:30 बजे समर्थकों के साथ एसएसपी की गैर मौजूदगी में एसएसपी कैंप ऑफिस पहुंचे। वहां मीडियाकर्मियों पर भड़क उठे। करीब 20 मिनट हंगामे के बाद वह लौट गए। मीडियाकर्मियों से हाथापाई कर रहे उनके समर्थकों को हजरतगंज पुलिस ने लाठी फटकार कर खदेड़ा। सेंगर ने वहां मीडिया द्वारा सरेंडर करने की बात पर बयान दिया, आप (मीडिया) जहां कहो वहीं चलें। आपके चैनल पर चलकर बैठें…। मैं चैनल के साथियों के कहने से यहां आया हूं। चैनल के साथी जहां कहेंगे वहां चलूंगा…। नमस्ते…।
इस दौरान विधायक समर्थकों ने मीडियाकर्मियों से बदसलूकी और धक्कामुक्की और मारपीट की। हालांकि, अभी तक विधायक के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है लेकिन मामले की एसआईटी रिपोर्ट में विधायक को आरोपी बताया गया है। मामले में गठित एसआईटी की जांच में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मारपीट की साजिश रचने का आरोपी बताया गया है। वहीं विधायक के भाई अतुल सिंह को पीड़िता के पिता के साथ मारपीट में दोषी पाया गया है।
एडीजी जोन राजीव कृष्ण के नेतृत्व में गठित इस टीम की प्रारंभिक रिपोर्ट में विधायक और रेप पीड़िता के परिवारों के बीच पुरानी रंजिश की भी बात सामने आई है। एसआईटी ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच का भी सुझाव दिया है और उन्नाव पुलिस को भी मामले में दोषी माना है। रिपोर्ट में वहां की एसपी पुष्पांजलि को हटाने की संस्तुति की बात भी की जा रही है और पुलिस अफसरों पर कदम-कदम पर लापरवाही बरतने का जिक्र किया गया है।
मालूम हो कि घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट तलब की थी। इसके मद्देनजर डीजीपी ने एसआईटी गठित कर उन्नाव भेजा था। यह टीम बुधवार को उन्नाव के माखी थाना क्षेत्र में स्थित पीड़िता के घर पहुंची। वहां दो घंटे से भी ज्यादा समय तक पीड़िता व उसके परिवारीजनों से बात की। विधायक पक्ष के भी पांच लोगों से पूछताछ की गई। एसआईटी ने उन्नाव के डीएम व एसपी से अलग से मीटिंग कर जानकारी ली गई।
क्या है पूरा घटनाक्रम
गौरतलब है कि रेप पीड़िता का चाचा 19 जनवरी से सोशल मीडिया पर इंसाफ की गुहार लगा रहा था। लेकिन पूरी दुनिया में सोशल मीडिया (ट्विटर) पर खूब सुर्खियां बटोरने वाली यूपी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़िता के परिवार का कहना है कि अगर पुलिस ने तीन महीने पहले कार्रवाई की होती तो उनके परिवार का मुखिया जिंदा होता।
हालांकि पुलिस की लचर कार्रवाई के चलते पिछली 3 अप्रैल को पुलिस की निगरानी में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह और उसके गुर्गों ने पीड़िता के पिता और चाचा को बुरी तरह पीटा था। पुलिस ने इस मामले में गंभीर रूप से घायल पीड़िता के पिता को जेल भेज दिया था। इसके बाद पीड़िता ने पिछली 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास के बाहर पूरे परिवार के साथ आत्मदाह का प्रयास किया।
इस मामले में पुलिस अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लिया तब तक जेल में हिरासत के दौरान रेप पीड़िता के पिता की 9 अप्रैल को मौत हो गई। तब मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ लिया। इस मामले में सीएम योगी के निर्देश के बाद थाना प्रभारी माखी सहित 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। पुलिस ने इस केस में चार लोगों को गिरफ्तार किया। मंगलवार सुबह लखनऊ क्राइम ब्रांच ने भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उधर पुलिस ने सुरक्षा के बीच पीड़िता के परिवार का अंतिम संस्कार करवा दिया। जिलाधिकारी उन्नाव ने पीड़ित परिवार को मिलने के लिए बुलाया था। वहीं पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच के लिए भी पीआईएल दाखिल की है।
मंगलवार को एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि उन्नाव गैंगरेप केस में यूपी सरकार ने SIT का गठन किया है। इस मामले में भाजपा विधायक से भी पूछताछ होगी। वहीं पीड़ित लड़की के पिता की संदिग्ध हालत में मौत के बाद प्रमुख सचिव गृह ने पुलिस को फटकार लगाते हुए मामले की पूरी रिपोर्ट तलब की। जेल में विधायक की दखल का खुलासा हुआ है। विधायक कुलदीप सिंह का रिश्तेदार है जेल में सप्लायर है। सप्लायर के पास जेल में राशन, सब्जी सप्लाई का ठेका है। बताया जा रहा है कि सप्लायर से भी पूछताछ होगी।