उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं की सुरक्षा के चाहे जितने दावे कर रही हो लेकिन यहां की पुलिस ही उसके दावों को तार- तार करने में लगी है। अभी पुलिस की कार्यशैली ने उन्नाव पुलिस की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस मामले ने तूल पकड़ा तो थानेदार सहित 6 पुलिसकर्मी निलंबित किये गए। सीएम और डीजीपी की सख्ती राजधानी लखनऊ की पीजीआई पुलिस नहीं मानती। यहां थाने में छेड़छाड़ की शिकायत लेकर पहुंची एक छात्रा के मामले में कार्रवाई के बजाए दारोगा जी उससे बोले, समझौता करो या घर छोड़ दो। इसी में तुम्हारा भला है ज्यादा कानूनी झमेले में न फंसो तो बेहतर होगा। अब इस बात से आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी भी कोशिश कर ली जाये लेकिन पुलिस की कार्यशैली नहीं बदलेगी।
जानकारी के मुताबिक, रायबरेली रोड निवासी खाड़ी देश में नौकरी करने वाले एक व्यक्ति की बेटी बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है। वह यहां अपनी मां और 7 वर्षीय भाई के साथ रहती है। छात्रा के मुताबिक, पड़ोस में रहने वाला सत्यम करीब छह माह से उसे परेशान कर रहा है। स्कूल आते-जाते समय वह अक्सर रोक लेता है। छात्रा ने बताया कि शनिवार को वह अपनी मां के साथ पार्क में टहल रही थी। इस बीच सत्यम पहुंचा और छेड़छाड़ करते हुए उसका हाथ पकड़कर खींच लिया।
मां ने विरोध किया तो धमकाने लगा। मामले की जानकारी कंट्रोल रूम को दी। इसके बाद डॉयल 100 की गाड़ी से पुलिस कर्मी आए थे। सत्यम उनके सामने भी धमकी दे रहा था। इसके बाद उसने फोन पर किसी बड़े अधिकारी से पुलिस कर्मियों की बात कराई, जिसके बाद पुलिसकर्मी पुलिसकर्मी आरोपितों पर कार्रवाई के बजाए समझौते का दबाव बनाकर चले गए। छात्रा ने बताया कि रविवार सुबह करीब नौ बजे वह तहरीर लेकर थाने पहुंची। पूरी व्यथा सुनकर दारोगा ने कहा कि अकेले रहती हो तो समझौता करो या फिर घर छोड़कर चली जाओ।
छात्रा का आरोप है कि वह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक थाने में बैठी रही पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। छात्र ने बताया कि युवक की इन हरकतों से वह और उसके परिवारीजन मानसिक रूप से परेशान हो चुके हैं। अक्सर शोहदा और उसके दोस्त घर की डोर बेल बजाकर कुछ दूर पर जाकर खड़े हो जाते हैं। मां अथवा उसका भाई जब गेट खोलता है तो शोहदे गाली-गलौज करते हैं। इस संबंध में थाना प्रभारी पीजीआई रविंद्र नाथ ने बताया कि छात्रा ने तहरीर में हाथ पकड़ने और धमकी की बात लिखी है। छेड़छाड़ जैसी कोई बात नहीं है। रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। दारोगा द्वारा समझौते का दबाव बनाने की बात निराधार है।