आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के गोमतीनगर स्थित मुख्यालय में 29 मई को एएसपी राजेश साहनी ने सर्विस पिस्टल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या की थी। एडीजी लखनऊ जोन राजीव कृष्ण की जांच में यह तथ्य सामने आया है। हालांकि करीब डेढ़ माह की लंबी जांच के बाद भी एएसपी की मौत का कोई ठोस कारण स्पष्ट नहीं हो सका। एडीजी ने अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट डीजीपी ओपी सिंह को सौंप दी है।
एडीजी ने अपनी जांच के दौरान एटीएस के अधिकारियों व कर्मचारियों के बयान दर्ज करने के साथ ही फोरेंसिक साइंस के विशेषज्ञों से तकनीकी बिंदुओं पर राय ली। बताया गया कि एडीजी की जांच में कहा गया है कि साहनी ने अपने कार्यालय में कुर्सी पर बैठकर खुद को गोली मारी थी। उनके दाहिने हाथ में गन पाउडर के निशान भी पाए गए। एएसपी साहनी के चालक मनोज व अन्य कर्मचारियों से पूछताछ में सामने आया कि उन्होंने मनोज से पिस्टल मंगाई थी। पिस्टल लेने के बाद वह भूतल स्थित अपने कमरे में चले गए थे। कमरे में कोई फोर्स इंट्री नहीं हुई। परिस्थितिजन्य साक्ष्य व फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर एडीजी ने साहनी के आत्महत्या करने की बात कही है। हालांकि साहनी ने ऐसा कदम किन कारणों से और किन परिस्थितियों में उठाया, इन सवालों के जवाब नहीं तलाशे जा सके। एडीजी ने इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कहा है।
ये थे जाँच के बिंदु
➡एएसपी की मौत हत्या या आत्महत्या थी।
➡किन परिस्थितियों में राजेश साहनी की मौत हुई।
➡आत्महत्या की तो उसके पीछे की वजह क्या थी।
➡एडीजी ने जांच रिपोर्ट में एटीएस की कार्यपद्धति में बदलाव की सिफारिश भी की है। इसे लेकर कई सुझाव भी दिए हैं। अधिकारी अभी इसे लेकर कुछ बोलने से कतरा रहे हैं।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 व 29 मई को एएसपी साहनी अवकाश पर होने के बाद भी सरकारी कार्य से एटीएस मुख्यालय आए थे, लिहाजा इन दिनों में उन्हें ड्यूटी पर माना जाए। डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि जांच रिपोर्ट मिली है। अभी उसका रिव्यू किया जा रहा है। माना जा रहा है कि जल्द रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। उल्लेखनीय है कि 29 मई को एएसपी साहनी की मौत के अगले दिन डीजीपी ने पूरे प्रकरण की जांच एडीजी को सौंपी थी। इस बीच एएसपी की मौत को लेकर कई सवाल उठे थे। राज्य सरकार ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एएसपी की मौत की सीबीआइ जांच कराए जाने की सिफारिश की थी। हालांकि अब तक सीबीआइ ने यह जांच अपने हाथ में नहीं ली है।