आगरा लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. ऐतिहासिक शहर आगरा, जिले का मुख्यालय है.
आगरा का इतिहास बहुत ही समृद्ध है. जिसका पता शहर में बने कई सारे ऐतिहासिक इमारतों से चलता है. आगरा का सबसे पहले ज़िक्र महकव्योचित काल में मिलता है, जब आगरा को अग्रावना कहते थे. इससे पहले आगरा को आर्य गृह या आर्यों का निवास कहते थे. सबसे पहले इस शहर के लिए आगरा शब्द का इस्तेमाल रोमन गणितज्ञ टोलोमी ने किया था. हालांकि आगरा का इतिहास मुग़ल वंश से जुड़ा हुआ है, पर यहाँ का इतिहास बनाने में कई और शासकों का योगदान है. आधुनिक आगरा की स्थापना सिकंदर लोधी ने की थी. मुग़ल वंश का संस्थापक बाबर आगरा में कुछ समय रहा और इसने ही यहाँ फारसी स्टाइल के चौकोर बागों का प्रचालन शुरू किया. अकबर ने यहाँ आगरे का किला और आगरा के पास फतेहपुर सीकरी बनवाया. फतेहपुर सीकरी 15 सालों तक अकबर की राजधानी रही जिसके बाद रहस्मयी परिस्थितियों में शहर को अलग कर दिया गया.
शाहजहाँ के गद्दी सम्भालने के बाद अगर की काया पलट कर दी. इसने यहाँ मुग़ल शिल्पकारी का अद्भुत नमूना ताज महल बनवा के पेश किया. ताजमहल शाहजहाँ ने अपनी बीवी मुमताज की याद में बनवाया था. कुछ समय बाद शाहजहाँ ने अपनी राजधानी को बदल के शाहजहानाबाद कर लिया. शाहजहाँ के बेटे औरंगजेब ने जब अपने पिता से यह गद्दी छीनी तब उसने अपने पिता को आगरा के किले में ही बंदी बनाया. और अपनी राजधानी को वापस आगरा बना दिया. औरंगजेब के बाद कोई भी मुग़ल वंश कभी इतनी ऊंचाई पर नहीं गया. मुग़ल काल के बाद जाट, मराठा और अंग्रेजों ने भी राज किया.
आगरा कुल 4,027 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है. 2011 की जनगणना की अनुसार इस क्षेत्र की आबादी 4,418,797 है. जनसँख्या घनत्व यहाँ 1,084 प्रति वर्ग किलोमीटर है. मथुरा में प्रति 1000 पुरुषों में 859 महिलाएं है. यहाँ 1,539,683 मतदाता हैं, जिसमें से 856,239 पुरुष और 683,444 महिलाएं हैं.
रामशंकर कठेरिया 2014 में दोबारा जीतने के बाद अब भी यहाँ के सांसद हैं[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]रामशंकर कठेरिया 2014 में दोबारा जीतने के बाद अब भी यहाँ के सांसद हैं[/penci_blockquote]
आगरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं;
एतमादपुर
आगरा कैंट- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
दक्षिण आगरा
उत्तर आगरा
जलेसर- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
1952 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेता अचल सिंह ने जीत हासिल की और आगरा के पहले सांसद बने. ये तो बस शुरुआत थी अचल सिंह के राजनीतिक सफ़र की. अचल सिंह आगरा के ही सीट से 5 बार जीते और 25 सालों तक आगरा का लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया. 1977 का चुनाव कांग्रेस के लिए बुरी खबर लाया और 25 साल पुरानी सीट इसने यहाँ खो दी. इस बार भारतीय लोकदल के शम्भुनाथ चतुर्वेदी आगरा की सीट से जीट कर यहाँ से सांसद बने.
1980 में फिर कांग्रेस यहाँ वापस आई और कांग्रेस नेता निहाल सिंह लगातार 2 बार यहाँ के सांसद रहे.
1989 में जनता दल के अजय सिंह विजयी रहे.
1991 में भारतीय जनता पार्टी ने यहाँ अपनी जीत दर्ज की और लगातार 3 बार जीती. इस दौरान भगवान शंकर रावत यहाँ के सांसद रहे. 1999 में मशहूर अभिनेता राज बब्बर समज्वासी पार्टी की टिकट ले कर आगरा में लोकसभा चुनाव लड़े और जीते भी. राज बब्बर लगातार 2 बार इस सीट से जीते.
2009 में फिर भाजपा ने इस क्षेत्र में वापसी की और राम शंकर कठेरिया यहाँ के सांसद की कुर्सी पे बैठे. कठेरिया 2014 में दोबारा जीतने के बाद अब भी यहाँ के सांसद हैं. कठेरिया अनुसूचित जाति की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष हैं. राम शंकर मानव संसाधन एवं कल्याण मंत्री भी रहे हैं.
लोकसभा | वर्ष से | वर्ष तक | नाम | पार्टी |
पहली | 1952 | 1957 | अचल सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
दूसरी | 1957 | 1962 | अचल सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
तीसरी | 1962 | 1967 | अचल सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
चौथी | 1967 | 1971 | अचल सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पांचवी | 1971 | 1977 | अचल सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
छठवीं | 1977 | 1980 | शम्भुनाथ चतुर्वेदी | भारतीय लोकदल |
सातवीं | 1980 | 1984 | निहाल सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
आठवीं | 1984 | 1989 | निहाल सिंह | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
नौवीं | 1989 | 1991 | अजय सिंह | जानत दल |
दसवीं | 1991 | 1996 | भगवन शंकर रावत | भारतीय जनता पार्टी |
ग्यारहवीं | 1996 | 1998 | भगवन शंकर रावत | भारतीय जनता पार्टी |
बारहवीं | 1998 | 1999 | भगवन शंकर रावत | भारतीय जनता पार्टी |
तेरहवीं | 1999 | 2004 | राज बब्बर | समाजवादी पार्टी |
चौदहवीं | 2004 | 2009 | राज बब्बर | समाजवादी पार्टी |
पंद्रहवीं | 2009 | 2014 | राम शंकर कठेरिया | भारतीय जनता पार्टी |
सोलहवीं | 2014 | अब तक | राम शंकर कठेरिया | भारतीय जनता पार्टी |