उत्तर प्रदेश के सभी आंवला लोकसभा क्षेत्र 24वां लोक सभा क्षेत्र है. आंवला को ये नाम इसलिए मिला क्यूंकि यहाँ आंवला के पेड़ बहुतायत में मिलते हैं. खेती यहाँ का मुख्या व्यवसाय है.

17वीं शताब्दी की शुरुआत में यहाँ रुहेलों ने राज किया और यहाँ 1700 मस्जिदें और 1700 कुएं बनवाए. तब ये शहर रूहेलखंड रियासत की राजधानी हुआ करता था. ये उस वक़्त सबसे ख़ूबसूरत शहरों में एक था. उस काल ने सबसे सुन्दर शहर बुखारा से इसकी तुलना की जाती थी. परन्तु 1774 में लखनऊ के नवाब और अंग्रेजों ने मिल कर इस शहर को खूब लूटा और सिर्फ खँडहर ही छोड़ा. 1801 में इसे फिर से बसाया गया. 12वीं शताब्दी के आस पास दिल्ली के सुल्तानों ने आँवला में के तल्साल बनवाया जहाँ सिक्कों की ढलाई होती थी. रुहेलों के शासन काल से लगभग 500 साल पहले यहाँ कठेरिया राजपूतों का राज था. उस समय वहां के ज़मींदारों को राजा कहा जाता था. नसीरुद्दीन महमूद, बलबन, जलालुद्दीन खिलजी, और फिरोज़शाह तुगलक जैस दिल्ली के सुल्तानों ने राजपूतों पे हमला किया. आँवला में आखिरी राजपूत राजा दुर्जन सिंह थे. इनके बाद रुहेलों ने यहाँ पर कब्ज़ा कर लिया और यहाँ के नवाब बन बैठे.

जब अंग्रेजों ने यहाँ पे आक्रमण किया तब आँवला को हटा के, बरेली को रूहेलखंड की राजधानी बनाया और आँवला को बस तहसील ही रहने दिया. 1857 में आँवला 11 महीनों तक अंग्रेजों के शासन से आजाद रहा और उस वक़्त वहां के नजीम थे कल्लन खां. यहाँ की जनता ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया और इस वजह से कई बार जेल भी गयी.

2011 की जनगणना के अनुसार आँवला की जनसँख्या 45,263 है जिसमें से 52% पुरुष और 48% महिलाएं हैं. यहाँ प्रति 1000 पुरुषों पर 883 महिलाएं हैं. यहाँ की औसत साक्षरता दर 79% है. यहाँ पुरुष साक्षरता दर तो बहुत अच्छी, 91% है परन्तु महिला साक्षरता दर बहुत कम, 69% है.

भाजपा नेता धर्मेंद्र कश्यप यहाँ के सांसद बने. वर्तमान में वे ही ये पद संभल रहे हैं.

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आँवला लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं;

शेखुपुर

दातागंज

फरीदपुर- अनुसूचित जाति के लिए अरक्षित

बिथारी चैनपुर

आँवला

आँवला में पहली बार 1962 में लोकसभा के आम चुनाव हुए और हिन्दू महासभा दल के ब्रिज लाल सिंह यहाँ के पहले सांसद बने. 1967 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपना खाता खोला और लगातार 2 बार इस सीट से जीती. इस दौरान सावित्री श्याम यहाँ की सांसद रही. सावित्री ने 10 सालों तक आँवला का प्रतिनिधित्व किया.

अगले चुनाव में ब्रिज लाल कांग्रेस के टिकट पे आँवला का लोक्सबह चुनाव लड़े और जीते.

जनता पार्टी (सेक्युलर) के जयपाल सिंह कश्यप अगले चुनाव में भरी मतों से विजयी हुए.

अगले चुनाव यानि 1984 में कांग्रेस ने इस क्षेत्र में दोबारा जीत हासिल की और कांग्रेस नेता कल्याण सिंह सोलंकी यहाँ के सांसद की कुर्सी पर बैठे.

1989 में भाजपा के नेता राजवीर सिंह आँवला के सांसद बने और लगातार 2 बार इस क्षेत्र से जीते. और 2 साल के ब्रेक के बाद फिर वे वापस आये और 1998 में तीसरी बार सांसद बने. इस बीच समाजवादी पार्टी के कुंवर सर्वराज सिंह यहाँ के सांसद के पद पर बैठे. 1999 समाजवादी पार्टी के नाम रहा और सर्वराज सिंह दोबारा यहाँ सांसद बने. 2004 में सर्वराज सिंह जनता पार्टी (यूनाइटेड) के टिकट पे खड़े हुए और जीते भी.

2009 में भाजपा ने आँवला में दोबारा अपना वर्चास्वा स्थापित किया और वर्तमान की महिला एवं बाल विकास मंत्री, मेनका गाँधी यहाँ की सांसद बनी. मेनका इस वक़्त पीलीभीत की सांसद हैं.

2014 में फिर से भाजपा ने ही अपना परचम लहराया और भाजपा नेता धर्मेन्द्र कश्यप यहाँ के सांसद बने. वर्तमान में वे ही ये पद संभल रहे हैं.

लोकसभा वर्ष से वर्ष तक नाम पार्टी
तीसरी 1962 1967 ब्रिज लाल सिंह हिन्दू महासभा
चौथी 1967 1971 सावित्री श्याम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पांचवी 1671 1977 सावित्री श्याम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
छठवीं 1977 1980 ब्रिज लाल सिंह भारतीय लोक दल
सातवीं 1980 1984 जयपाल सिंह कश्यप जनता पार्टी (सेक्युलर)
आठवीं 1984 1989 कल्याण सिंह सोलंकी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
नौवीं 1989 1991 राजवीर सिंह भारतीय जनता पार्टी
दसवीं 1991 1996 राजवीर सिंह भारतीय जनता पार्टी
ग्यारहवीं 1996 1998 कुंवर सर्वराज सिंह समाजवादी पार्टी
बारहवीं 1998 1999 राजवीर सिंह भारतीय जनता पार्टी
तेरहवीं 1999 2004 कुंवर सर्वराज सिंह समाजवादी पार्टी
चौदहवीं 2004 2009 कुंवर सर्वराज सिंह जनता पार्टी (यूनाइटेड)
पंद्रहवीं 2009 2014 मेनका संजय गाँधी भारतीय जनता पार्टी
सोलहवीं 2014 अब तक धर्मेन्द्र कश्यप भारतीय जनता पार्टी

 

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