बागपत लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है. बागपत जिला बनने से पहले मेरठ जिले का एक तहसील हुआ करता था. इस शहर का नाम हिंदी शब्द बाघ से व्युत्पन्न हुआ है. बाघपत से मेरठ की दूरी मात्र 52 किलोमीटर है.
बाघपत पांडवों द्वारा बसाया गया था और इसका प्राचीन नाम, बहुत ज्यादा बाघ के होने की वजह से व्याघ्प्रस्थ था. बाघपत उन 5 गाँव में से एक था जिसकी मांग पांडवों ने दुर्योधन से की थी, महाभारत ना करने के एवज़ में. बरौट के पास बसे बरनावा में ही दुर्योधन के मंत्री पुरोचना ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनवाया था.
इस शहर के नाम को लेकर कई संस्करण है. उनमें से एक यह है की इस शहर का नाम संस्कृत शब्द वाक्यप्रस्थ- भाषण देने वाला शहर; से निकला. यह नाम समय के साथ बदल के मुग़ल काल में बाघपत हो गया.
यह शहर यमुना के किनारे बसा हुआ है.
बागपत 1,321 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसा हुआ है. बागपत शहर की जनसँख्या करीब 36,000 है, जिसमें 53% पुरुष और 47% महिलाएं हैं. बागपत जिले की कुल जनसँख्या 13,00,000 है. बाघपत में प्रति 1000 पुरुषों में 858 महिलाएं हैं. यहाँ की साक्षरता दर 66% है. जहाँ 82% पुरुष साक्षर हैं वहीँ केवल 58% महिलाएं ही शिक्षित हैं.
बागपत के वर्तमान सांसद हैं भारतीय जनता पार्टी के सत्यपाल सिंह[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]बागपत के वर्तमान सांसद हैं भारतीय जनता पार्टी के सत्यपाल सिंह[/penci_blockquote]
बागपत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं;
सिवालखास
छपरौली
बरौत
बाघपत
मोदीनगर
उत्तर प्रदेश के ग्यारहवें लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बागपत का गठन होने क बाद पहली बार 1967 में लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें भारतीय जन संघ के रघुवीर सिंह शास्री विजयी हुए.
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इसके बाद 1971 में हुए दूसरे चुनाव में भारतीय रस्ष्ट्रीय कांग्रेस के राम चन्द्र विकल ने जीन हासिल की और बाघपत के सांसद की सीट पर बैठे.
1977 में राम चन्द्र विकल को हरा कर भारतीय लोकदल के चौधरी चरण सिंह सांसद बने और विकल को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा. चरण सिंह अगली 2 बार फिर जीते और 7 सालों तक बाघपत के सांसद रहे. पर तीनों बार चरण सिंह अलग अलग पार्टियों की टिकट पे लड़े. दूसरी बार वे जनता पार्टी की टिकेट पर चुनाव लड़े और तीसरी बार लोकदल से.
1989 और 1991 दोनों बार जनता दल की टिकट पे अजित सिंह जीते और 1996 में अजित सिंह कांग्रेस की टिकट पे सांसद बने. 1998 के उप चुनाव में अजित सिंह के राजनीतिक करियर पे 1 साल का छोटा सा ब्रेक लगा. पर उन्होंने 1999 में फिर से वापसी की और लगातार 3 बार जीते. वे हर बार अलग पार्टी से टिकट ले के लड़े. 1996 में अजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से खड़े हुए. और 1998 में हारने के बार राष्ट्रीय लोकदल से जुड़े रहे. 1998 के उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सोम्पक सिंह शास्त्री विजयी रहे.
बागपत के वर्तमान सांसद हैं भारतीय जनता पार्टी के सत्यपाल सिंह. सत्य पाल मानव संसाधन अवं विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं और उच्च शिक्षा के लिए जिम्मेदार हैं. सत्य पाल 2012 से 2014 तक मुंबई के पुलिस कमिश्नर भी रहे हैं.
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लोकसभा | वर्ष से | वर्ष तक | नाम | पार्टी |
चौथी | 1967 | 1971 | रघुवीर सिंह | भारतीय जन संघ |
पांचवी | 1971 | 1977 | राम चन्द्र विकल | कांग्रेस |
छठवीं | 1977 | 1980 | चौधरी चरण सिंह | भारतीय लोक दल |
सातवीं | 1980 | 1984 | चौधरी चरण सिंह | राष्ट्रीय लोकदल |
आठवीं | 1984 | 1989 | चौधरी चरण सिंह | लोकदल |
नौवीं | 1989 | 1991 | अजित सिंह | जनता दल |
दसवीं | 1991 | 1996 | अजित सिंह | जनता दल |
ग्यारहवीं | 1996 | 1998 | अजित सिंह | भारतीय किसान कामगार पार्टी |
बारहवीं | 1998 | 1999 | सोमपाल सिंह शास्त्री | भारतीय जनता पार्टी |
तेरहवीं | 1999 | 2004 | अजित सिंह | राष्ट्रीय लोकदल |
चौदहवीं | 2004 | 2009 | अजित सिंह | राष्ट्रीय लोकदल |
पंद्रहवीं | 2009 | 2014 | अजित सिंह | राष्ट्रीय लोकदल |
सोलहवीं | 2014 | अब तक | सत्यापल सिंह | भारतीय जनता पार्टी |