फर्रुखाबाद यूपी का एक जिला हैI किसी ज़माने में यह फर्रुखाबाद राजशाही की राजधानी हुआ करता थाI वर्तमान में यह कानपुर मंडल का हिस्सा है, इसका जिला मुख्यालय फतेहगढ़ हैI फर्रुखाबाद जिले का गठन 1997 में हुआ था|इसके अंतर्गत 3 तहसील आती है | इसका कुल क्षेत्रफल 2,279 वर्ग किलोमीटर है| यह जिला उत्तर में शाहजहांपुर और बदायूं, पूर्व में हरदोई, दक्षिण में कन्नौज और पश्चिम में एटा और मैनपुरी से घिरा हुआ है| इस जिले के पूर्व में गंगा और रामगंगा दक्षिण में काली नदी बहती है Iयहाँ की औसत साक्षरता दर 72% है, जो देश की औसत साक्षरता दर 59.5% से ज्यादा है|यहाँ पुरुष साक्षरता दर 70% और महिला साक्षरता दर 60% है| यहाँ की कुल आबादी 18,87,000 है|यहाँ औसतन 864 लोग प्रति वर्ग किलोमीटर में रहते है| घनी आबादी के हिसाब से यह जिला देश में 250वें नंबर पर है| इसमें 53% पुरुष और 43% महिलायें शामिल है| यहाँ 1000 पुरुषों पर 874 महिलाये है| फर्रुखाब्द से होकर तीन राज्यमार्ग गुजरते है| यह देश के 250 पिछड़े क्षेत्रों में से एक है,इस कारण इसे पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत विशेष सहायता मिलती है|इस क्षेत्र में गेंहू,दाल और आलू की अच्छी पैदावार होती है| फर्रुखाबाद शहर को पोटैटो सिटी (आलू का शहर) के नाम से भी जाना जाता है| यूपी की 80 संसदीय सीटों में से एक फर्रुख्बाद संसदीय सीट 1952 में अस्तित्व में आईI फर्रुखाबाद की सीट यूपी 40वीं संसदीय सीट हैI इस संसदीय सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें- अलीगंज,कैमगंज(सुरक्षित),अमृतपुर,भोजपुर और फर्रुखाबाद आती है| चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2009 में यहाँ 13,06,214 लाख मतदाता थे जिनमे 7,22,293 पुरुष मतदाता और 5,83,921 महिला मतदाता थे| यह संसदीय सीट शुरुआत से ही सामान्य सीट रही है| 1957 में हुए कानपुर-फर्रुखाबाद सीट से कांरेस्स्स के वेंकटेश तिवारी और कांग्रेस के मूलचंद प्रजा समाजवादी पार्टी के भगत सिंह को 9,471 वोटों से हराकर विजयी हुए थे| 1957 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा| कांग्रेस की जीत का सिलसिला 1977 में भारतीय लोकदल के दयाराम शाक्य ने कांग्रेस के अवधेश चन्द्र सिंह को हराकर तोड़ा| 1991 में आमचुनावों में कांग्रेस ने यहाँ वापसी की और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद यहाँ से जीते| 1996 तक यहाँ अलग-अलग पार्टियों के लोग सांसद बनते रहे| 1996 में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर पहली बार जीत दर्ज की जब बीजेपी की स्वामी सच्चिदानंद साक्षी ने समाजवादी पार्टी के अनवर मुहम्मद खां को हराया| 1998 में बीजेपी के स्वामी सच्चिदानद हरी साक्षी दोबारा यहाँ के सांसद निर्वाचित हुए| 1996 और 1998 के चुनावों में हुई हार का बदला समाजवादी पार्टी ने 1999 के चुनाव में लिया, जब समाजवादी प्रत्याशी चंद्रभूषण सिंह उर्फ़ मुन्नू भईया ने भाजपा प्रत्याशी प्रो.रामबक्श सिंह वर्मा को हराया| 2004 में समाजवादी मुन्नू भईया ने दोबारा इस सीट पर कांग्रेसी उम्मीदवार लुइस खुर्शीद को हराकर जीत दर्ज की| 2009 में हुए आमचुनावों में कांग्रेस के सलमान खुर्शीद ने बहुजन समाजवादी पार्टी के नरेशचन्द्र अग्रवाल को 27,199 वोटों से हराया|
वर्तमान में बीजेपी के मुकेश राजपूत यहाँ के सांसद है.[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]वर्तमान में बीजेपी के मुकेश राजपूत यहाँ के सांसद है[/penci_blockquote]
इन्होने बीएससी तक की शिक्षा प्राप्त की है|चुनावी हलफनामे के अनुसार इनपर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं है| 16वीं लोकसभा में कृषि की स्थाई समिति के सदस्य है| लोकसभा में इनकी औसत उपस्तिथि 91% है, जो राष्ट्रीय औसत 80% से अधिक है| इन्होने कुल 40 बहसों में हिस्सा लिया है जो राष्ट्रीय औसत 57.9 और राज्य की औसत 94.4 से कम है|