हाथरस ( Hathras ) लोकसभा क्षेत्र एक प्राचीन शहर है. इससे 1962 के चुनाव से पहले ही लोकसभा क्षेत्र बनाया गया था. यह अलीगढ़ डिवीज़न का भाग भी है. हाथरस दोअब के मध्य में ब्रज क्षेत्र में स्थित है. इसका इतिहास महाभारत और हिन्दू धर्मकथाओं से जुड़ा हुआ है. यहाँ ब्रज भाषा बोली जाती है.
इस शहर का निर्माण कब हुआ और किसने बनाया इसका कोई लिखित साक्ष्य नहीं है. जाट, कुषाण, गुप्ता और मराठा सबने यहाँ शासन किया है. 1716 ई० में जाट शासक राजा नंदराम के पुत्र भोज सिंह ने हाथरस पे कब्ज़ा कर लिया था. ऐसा माना जाता है की भोज सिंह के पोते भूरी सिंह ने हाथरस के किले में भगवान बलराम का मंदिर बनवाया था. यहाँ के रेलवे स्टेशन का नाम हाथरस किला है. 1803 में यहाँ अंग्रेजी हुकूमत ने कब्ज़ा कर लिया पर इसकी अवज्ञा की वजह से चीफ ने यहाँ की घेराबंदी ज़रुरी कर दी. हर साल देव छठ पे भगवान बलराम के मंदिर में, जिसे दाऊ baba भी कहते है, मेला लगता है. हिन्दू, बौद्ध, और जैन संस्कृति और शुंग और कुषाण काल के पुरातत्विक अवशेष हाथरस में मिले हैं.
हाथरस ( Hathras ) ब्रिटिश काल में औद्धयोगिक हब हुआ करता था. उस समय यहाँ कपास की पिसाई की, हिंग और देशी घी के बड़े उद्योग थे. हिंग और देशी घी के उद्योग यहाँ आज भी जीवित हैं. पुराना मिल की कपास दुनिया भर में निर्यात होती थी. आज के समय में में यहाँ होली के रंग और गुलाल, कपडे, रसायन, गलीचे, कृत्रिम मूंगा-मोती, पीतल के सामान, तेल वगैरह के उद्योग चलते हैं.
हाथरस का क्षेत्रफल 1,840 वर्ग किलोमीटर है. और यहाँ की जनसँख्या 1,565,678 है, जिसमें से 52% पुरुष और 48% महिलाएं हैं. यहाँ मतदाताओं की संख्या 1,437,725 है. इसमें 637,909 महिला मतदाता और 799,816 पुरुष मतदाता हैं.
2014 का लोकसभा चुनाव फिर भाजपा के पक्ष में रहा और राजेश दिवाकर भरी मतों से विजयी हुए. राजेश दिवाकर हाथरस के तत्कालीन सांसद हैं.
हाथरस ( Hathras ) लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं;
छर्रा
इगलास- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
हाथरस- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित
सादाबाद
सिंकंद्र राव
तीसरे लोकसभा चुनाव 1962 में यहाँ पहली बार चुनाव हुए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नारदेओ स्नातक विजयी हुए और हाथरस के सांसद बने. नारदेयो इससे पहले अलीगढ़ में भी 2 बार सांसद रह चुके थे. इनके बाद हाथरस की सांसद बनी रिपब्लिकन पार्टी की जोती सरूप.
1967 में नारदेयो स्नातक फिर से सांसद बने. इस बार भी ये कांग्रेस की टिकट पे ही चुनाव लड़े.
1971 में भी ये सीट कांग्रेस के पास ही रही. पर इस बार चन्द्र पाल शैलानी हाथरस की इस सीट पे विराजमान हुए.
“जानिए, लोकसभा सीट का इतिहास”
अगले चुनाव में भारतीय लोकदल के राम प्रसाद देशमुख यहाँ के सांसद बने और अगले ही चुनाव में उन्होंने यह सीट इस बार जनता दल (सेक्युलर) के हाथों खो दी. जो उन्होंने अगले चुनाव में कांग्रेस के ही प्राण चन्द से हार के खो दी.
1989 के चुनाव में जनता दल के बंगाली सिंह हाथरस के सांसद की कुर्सी पे बैठे.
1991 में पहली बार इस शहर ( Hathras ) में भारतीय जनता पार्टी का प्रवेश हुआ. और लाल बहादुर रावल यहाँ सांसद बने. इसके बाद कई सालों तक ये सीट भाजपा के पास ही रही और रावल के बाद किशन लाल दिलेर भाजपा से 4 बार लगातार हाथरस के लोकसभा चुनाव में जीते.
2009 में भाजपा का हाथों से ये कुर्सी छिन गयी और राष्ट्रीय लोकदल की सारिका बघेल यहाँ की सांसद बन बैठी.
पर 2014 का लोकसभा चुनाव फिर भाजपा के पक्ष में रहा और राजेश दिवाकर भरी मतों से विजयी हुए. दिवाकर हाथरस के तत्कालीन सांसद हैं.
“जानिए, लोकसभा सीट का इतिहास”
लोकसभा | वर्ष से | वर्ष तक | नाम | पार्टी |
तीसरी | 1962 | 1967 | नारदेओ स्नातक | कांग्रेस |
चौथी | 1967 | 1971 | नारदेओ स्नातक | कांग्रेस |
पांचवीं | 1971 | 1977 | चन्द्र पाल शैलानी | कांग्रेस |
छठवीं | 1977 | 1980 | राम प्रसाद देशमुख | भारतीय लोकदल |
सातवीं | 1980 | 1984 | चन्द्र पाल शैलानी | जनता पार्टी(सेक्युलर) |
आठवीं | 1984 | 1989 | पूरण चन्द | कांग्रेस |
नौवीं | 1989 | 1991 | बंगाली सिंह | जनता दल |
दसवीं | 1991 | 1996 | लाल बहादुर रावल | भारतीय जनता पार्टी |
ग्यारहवीं | 1996 | 1998 | किशन लालदिलेर | भारतीय जनता पार्टी |
बारहवीं | 1998 | 1999 | किशन लालदिलेर | भारतीय जनता पार्टी |
तेरहवीं | 1999 | 2004 | किशन लालदिलेर | भारतीय जनता पार्टी |
चौदहवीं | 2004 | 2009 | किशन लालदिलेर | भारतीय जनता पार्टी |
पंद्रहवीं | 2009 | 2014 | सारिका बघेल | राष्ट्रीय लोकदल |
सोलहवीं | 2014 | अब तक | राजेश दिवाकर | भारतीय जनता पार्टी |
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