मेरठ लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश का दसवां निर्वाचन क्षेत्र है. यह एक बहुत ही प्राचीन शहर है और इस क्षेत्र में सिन्धु घाटी सभ्यता की बस्तियों की भी सबूत मिलते हैं. यह शहर देख की राजधानी दिल्ली से केवल 70 किलोमीटर दूर है और यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दूसरा सबसे बाद शहर है. मेरठ खेल के सामानों के उत्पादन के सबसे बड़े शेहेरों में से एक है और संगीत के उपकरणों का सबसे बड़ा उत्पादक है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह शिक्षा का सबसे बड़ा गढ़ है. मेरठ को खेल का शहर भी कहते हैं.

अंग्रेजी औपनिवेशक नियम के विरुद्ध 1857 के विद्रोह की शुरुआत यही से हुई थी.

मेरठ फिल्म और टेलेविज़न इंडस्ट्री की कई नामी गिरामी हस्तियों की जन्मस्थली भी है, जैसे; भारत भूषण, कैलाश खेर, चित्रांगदा सिंह, विशाल भारद्वाज और प्रवेश राणा.

मेरठ के नाम की उत्पत्ति को लेकर कई दिलचस्प कहानियां हैं. इस शहर का नाम मंदोदरी के पिता और रावण के ससुर के राज्य, मायासुर की राजधानी मायाराष्ट्र से निकला हुआ माना जाता है. ऐसा कहते हैंकि ये नाम बिगड़ते बिगड़ते मायाराष्ट्र से मैराष्ट्र और मैराथ हुते हुए मेरठ हो गया.

दूसरी कहानी के अनुसार माया नाम के विशिष्ट वास्तुकार को यहाँ की जामीन युधिष्ठिर से मिली थी और उन्होंने अपने नाम पर इसका नाम मायाराष्ट्र रखा, जो समय के साथ छोटा होते हुए मेरठ हो गया.

कई सारे टीलों के समूह, जिसे विदुर का टीला कहते हैं, के उत्खंनन के बाद इससे पांडवों और कौरवों की राजधानी हस्तिनापुर का अंश माना जाता है, जो गंगा में यई बाढ़ से बह गया था. मेरठ में हरप्पा बस्ती आलमगीरपुर भी मिला है. मेरठ मौर्या वंश के शासक अशोक के शासनकाल में बौद्ध अनुयायियों का गढ़ भी रहा है. दिल्ली में स्थित अशोक स्तम्भ फिरूज़ शाह तुगलक के द्वारा मेरठ से ही दिल्ली ले जाया गया था. जो 1713 के एक धमाके में खराब हो गया था फिर इसे 1867 में दोबारा बहाल कर लिया गया.

मेरठ शहर का क्षेत्रफल 141.94% वर्ग किलोमीटर है और यहाँ की जनसँख्या 1,420,902 है जिसमें से 752,893 पुरुष और 668,009 महिलाएं हैं. यहाँ की साक्षरता दर 76.28 % है.

2009 में भाजपा की वापसी हुई और राजेंद्र अग्रवाल सांसद की सीट पे बैठे. और तब से अग्रवाल ही मेरठ के सांसद हैं.

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मेरठ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं;

किठोर

मेरठ छावनी

मेरठ

दक्षिण मेरठ

हापुर- अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित

मेरठ में लोक सभा के पहले चुनाव 1952 में हुए और कांग्रेस के शाह नवाज़ खां यहाँ के पहले सांसद बने. नवाज़ खान लगातार 3 बार इस सीट से जीते और 15 सालों तक यहाँ के सांसद रहे.

1967 में शाह नवाज़ को हरा के संयुक्त सोशल पार्टी के महाराज सिंह भारती मेरठ के सांसद बने.

1971 में मेरठ फिर से कांग्रेस के हाथों में आ गया और नवाज़ खान फिर से सांसद बन गये. 1977 में कैलाश प्रकाश के हाथों नवाज़ खान को करारी हार मिली और उनके हाथ से मेरठ की सीट हमेशा के लिए चली गयी.

1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मोहसिना किदवई ने मेरठ की सीट पे कब्ज़ा किया और लगातार 2 बार यहाँ से सांसद रहीं. मोहसिना खाद्य व रसद विभाग में राज्य मंत्री और हरिजन व सामाजिक कल्याण मंत्रालय के साथ कई और मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री भी रही.

1989 में जनता दल ने मेरठ में अपनी सत्ता जमाई और जनता पार्टी के हरीश पाल. 1991 लोक सभा चुनावों में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने मेरठ सीट अपने कब्ज़े में की और ये तो सिर्फ शुरुआत थी. भाजपा के अमर पाल सिंह लगातार 3 बार इस सीट से जीते और 1991 से 1999 तक यहाँ के सांसद रहे.

1999 लोकसभा में कांग्रेस एक बार फिर मेरठ आई और अवतार सिंह भदाना यहाँ के सांसद की सीट पे बैठे.

2004 में बहुजन समाज पार्टी के हाजी शाहिद अखलाक़ लोकसभा का चुनाव जीत के सांसद बने. 2009 में भाजपा की वापसी हुई और राजेंद्र अग्रवाल सांसद की सीट पे बैठे. और तब से अग्रवाल ही मेरठ के सांसद हैं.

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लोक सभा वर्ष से वर्ष तक नाम पार्टी
पहली 1952 1957 शाह नवाज़ खां कांग्रेस
दूसरी 1957 1962 शाह नवाज़ खां कांग्रेस
तीसरी 1962 1967 शाह नवाज़ खां कांग्रेस
चौथी 1967 1971 महाराजा सिंह भारती संयुक्त सोशल पार्टी
पांचवीं 1971 1977 शाह नवाज़ खां कांग्रेस
छठवीं 1977 1980 कैलाश प्रकाश जनता पार्टी
सातवीं 1980 1984 मोहसिना किदवई कांग्रेस
आठवीं 1984 1989 मोहसिना किदवई कांग्रेस
नौवीं 1989 1991 हरीश पाल जनता दल
दसवीं 1991 1996 अमर पाल सिंह भारतीय जनता पार्टी
ग्यारहवीं 1996 1998 अमर पाल सिंह भारतीय जनता पार्टी
बारहवीं 1998 1999 अमर पाल सिंह भारतीय जनता पार्टी
तेरहवीं 1999 2004 अवतार सिंह भदाना कांग्रेस
चौदहवीं 2004 2009 हाजी शाहिद अखलाक़ बहुजन समाज पार्टी
पंद्रहवीं 2009 2014 राजेंद्र अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी
सोलहवीं 2014 अब तक राजेंद्र अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी
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