सहारनपुर डिवीज़न का मुज़फ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र जिला उत्तर प्रदेश का तीसरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. इस क्षेत्र में गन्ने की भरी उपज के कारण इसे भारत का चीनी का कटोरा भी कहते हैं. यह गंगा-यमुना के उपजाऊ दोआब क्षेत्र में स्थित है और देश की राजधानी दिल्ली के बहुत करीब होने की वजह से यह उत्तर प्रदेश का सबसे विकसित और समृद्ध शहर है. मुजफ्फरनगर अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आता है. यह शहर दिल्ली मुंबई औद्द्यौगिक गलियारा और अमृतसर दिल्ली कोलकाता औद्द्यौगिक गलियारा का अंश है. यह दिल्ली-हरिद्वार/देहरादून राजमार्ग-58 के बीच में ही स्थित है.
मुज़फ़्फ़रनगर सन 1633 में प्राचीन शहर सर्वात के पास सयैद मुज़फ्फर खान के द्वारा शाह जहाँ के शासन काल में बसाया गया था. ब्रिटिश काल के दौरान यह संयुक्त प्रान्त आगरा और ओउध या अवध के मेरठ डिवीज़न क अंतर्गत आता था.
2,991 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में बसा ये शहर राजधानी दिल्ली से 125 किलोमीटर और चंडीगढ़ से लगभग 200 किलोमीटर दूर है.
2011 की जनगणना के अनुसार, मुज़फ्फरनगर की जनसंख्याँ लगभग 28,29,860 है. आबादी के आधार पर मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश में बारहवें स्थान पे है. यहाँ की साक्षरता दर 80.99% है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 85.82% व महिला साक्षरता दर 75.65% है. भारत के चुनाव कमीशन के 2009 की रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर में मतदाताओं की संख्या 1,370,117 है, जिनमें 751,324 पुरुष मतदाता और 618,793 महिला मतदाता हैं.
मुज़फ्फरनगर के तत्कालीन सांसद भारतीय जनता पार्टी के संजीव बाल्यान हैं[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मुज़फ्फरनगर के तत्कालीन सांसद भारतीय जनता पार्टी के संजीव बाल्यान हैं[/penci_blockquote]
मुज़फ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं-
बुधना
चरथावल
मुज़फ्फरनगर
खतौली
सरधना
1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में अलग अलग क्षेत्रों से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के हिरा वल्लभ त्रिपाठी, सुन्दर लाल, और अजित प्रसाद पहले सांसद बने.
1957 में दुसरे और 1962 में तीसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ही सुमत प्रसाद ने जीत हासिल की और 2 बार लगातार मुज़फ्फरनगर के सांसद बने.
चौथे लोकसभा में कम्युनिस्ट पार्टी के लताफत अली खान और अगले चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के ही विजयपाल सिंह विजयी हुए.
1977 में पांचवे लोकसभा चुनाव हुए जिसमें भारतीय लोक दल की टिकट पर सईद मुर्तजा मुज़फ्फरनगर के सांसद बने.
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1980 के चुनावों में जनता पार्टी (सेक्युलर) के घयूर अली खान में इस सीट पे कब्ज़ा जमाया पर 1984 में जनता पार्टी के हाथ से यह सीट निकल गयी और कांग्रेस के धरमवीर त्यागी क पास चली गयी.
1989 के चुनाव में जनता दल के मुफ़्ती मोहम्मद सईद मुज़फ्फरनगर के सांसद बने.
1991 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने यहाँ अपनी जीत दर्ज की और भाजपा के नरेश कुमार बालियाँ सांसद बने. भाजपा लगातार 3 बार यहाँ जीती और नरेश कुमार के बाद 2 बार सोहन वीर सिंह ने मुज़फ्फरनगर की कमान संभाली.
इसके बाद 1999 में समाजवादी पार्टी के मुनव्वर हसन मुज़फ्फरनगर के सांसद बने और इसके बाद बहुजन समाज पार्टी के कादिर राणा ने यह पद संभाला.
मुज़फ्फरनगर के तत्कालीन सांसद भारतीय जनता पार्टी के संजीव बाल्यान हैं, जिनका कार्यकाल 2019 में समाप्त होगा. संजीव 2014 से 2017 तक जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में राज्य मंत्री भी रहे. बाल्यान 2013 के मुज़फ्फरनगर दंगों के अभियुक्त हैं पर उन्होंने इन दंगों में किसी भी तरह की भागीदारी से इंकार किया है.
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लोकसभा | वर्ष | सांसद | पार्टी |
पहला | 1952 | हिरा वल्लभ त्रिपाठी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
दूसरा | 1957 | सुमत प्रसाद | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
तीसरा | 1962 | सुमत प्रसाद | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
चौथा | 1967 | लताफत अली खान | कम्युनिस्ट पार्टी |
पांचवा | 1971 | विजय पाल सिंह | कम्युनिस्ट पार्टी |
छठवां | 1977 | सईद मुर्तजा | भारतीय लोक दल |
सातवां | 1980 | घयूर अली खान | जनता पार्टी (सेक्युलर) |
आठवां | 1984 | धरमवीर सिंह त्यागी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
नौवां | 1989 | मुफ़्ती मोहम्मद सईद | जनता दल |
दसवां | 1991 | नरेश कुमार बालियाँ | भारतीय जनता पार्टी |
ग्यारहवां | 1996 | सोहन वीर सिंह | भारतीय जनता पार्टी |
बारहवां | 1998 | सोहन वीर सिंह | भारतीय जनता पार्टी |
तेरहवां | 1999 | एस सैदुज्ज़मन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
चौदहवां | 2004 | मुनव्वर हसन | समाजवादी पार्टी |
पन्द्रहवां | 2009 | कादिर राणा | बहुजन समाज पार्टी |
सोलहवां | 2014 | संजीव बाल्यान | भारतीय जनता पार्टी |