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सफलता की एक नई मिशाल पेश करता जौनपुर का ये गांव
लखनऊ । किसी ने सच हि कहा है तू गिरकर उठते रहना, कुछ भी हो बस चलते रहना,ठोकरें कब तक रास्ता रोक पाएगी,अगर कोशिशों में जान है,तो किस्मत भी पलट जाएगी एसा ही कुछ कर दिखया है शिराजे हिंद की सरजमी पर बसे इस गाव के लोगो ने जो अब ना सिर्फ अपनी मेहनत के बल पर जनपद ही नही अपितु देश विदेशो मे भी अपना नाम रोशन किया है।
यही कारण है की लोग अब इनकी सफलता की तारीफ़ करते नहीं थकते।
एक तरह से देखा जाये तो सफलता किसे अच्छी नही लगती है और लोग सफल होने के लिए रात दिन मेहनत भी करते है ऐसे में जिनके इरादे और हौसले बुलंद हो तो निश्चित ही वे लोग अपने लक्ष्य को प्राप्त करते है और सबके लिए सफलता की एक नई मिशाल पेश करते है तो चलिए आज हम आप सबके बीच जौनपुर जिले के एक छोटे से गांव के बारे में बात करेंगे जो माधोपट्टी के नाम से जाना जाता है| गांव ने ऐसी मिशाल पेश की जिसके कारण सभी गावो के लिए प्रेणा स्रोत बनता जा रहा है| इस गांव की खासियत ये है कि इस गांव में मात्र 75 घर हैं और इस गांव ने देश को अब तक 50 आईएएस आईपीएस ऑफिसर दिए हैं। ये सभी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के कार्यालयों में कार्यरत हैं।
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इस गांव के नाम एक और रिकॉर्ड भी दर्ज है।
एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पास कर नया रिकॉर्ड कायम किया था।1955 में बड़े भाई विनय ने सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। अन्य दूसरे भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 1964 में ये परीक्षा पास की इसके बाद इन्हीं के छोटे भाई शशिकांत सिंह ने 1968 में ये परीक्षा पास कर कीर्तिमान स्थापित किया।
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सिर्फ सिविल सर्विस ही नहीं बल्कि कई विभागों में अधिकारी के रूप में कार्यरत है यहां के बच्चे
चौकाने वाली बात है कि सिर्फ चार हजार आबदी वाले इस गांव ने 50 के करीब आईएएस अधिकारी दिए है साथ ही बैंकिंग और अन्य विभागों में भी अपना परचम लहरा रहे है बच्चो की कड़ी मेहनत और लगन यही देखने को मिलती है यहां के हर बच्चे के मन में सिविल सर्विस में जाने की ललक रहती है गांव वालो की माने तो यहां के हर बच्चे काफी मेहनती और पढ़ाई को लेकर काफी गंभीर रहते है ।