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शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की 112वीं जयंती पर गोष्ठी का आयोजन

शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की 112 वी जयंती पर गोष्ठी का आयोजन

शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की 112 वी जयंती पर गोष्ठी का आयोजन

शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की 112 वी जयंती पर गोष्ठी का आयोजन , आजाद जी के जन्मदिवस आज 23 जुलाई को दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा की ओर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के सामने पोस्टर प्रदर्शनी एवं गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए क्रान्तिकारी गीत ‘ज़िन्दगी लड़ती रहेगी… कारवां चलता रहेगा’ से की गई।

दिशा छात्र संगठन के अमित ने चन्द्रशेखर आज़ाद के जीवन और विचारों पर बात रखते हुए कहा कि आज के समय में चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों के विचारों को आम जनता की पहुँच से दूर कर दिया गया है। एच॰एस॰आर॰ए॰ के कमांडर-इन-चीफ चन्द्रशेखर आजाद का जीवन देश की आम-जनता और मेहनतकश आबादी को यह प्रेरणा देता रहगा कि इस व्यवस्था में सब-कुछ बर्दाश्त करते हुए, सहते हुए, घुटते हुए धीरे-धीरे जिंदगी को ढोते रहना ही एकमात्र विकल्प नहीं है। विकल्प यह भी है कि इस लूट और शोषण पर टिकी हुई व्यवस्था के विरुद्ध लड़ते हुए चन्द्रशेखर आजाद जैसे नौजवानों के रास्ते पर आगे बढ़ा जाय। बहुत साधारण परिवार में पैदा होने वाले चन्द्रशेखर आज़ाद ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में बम्बई में जाकर मजदूरी भी की थी, जिसकी वजह से देश की आम मेहनतकश जनता की जीवन के दुःख-तकलीफ़ों को वह बहुत गहराई से महसूस करते थे।

यही वजह है कि इन क्रांतिकारियों ने केवल अंग्रेजों की लूट के खिलाफ ही नहीं, बल्कि हर तरह के शोषण, उत्पीड़न और दमन के खात्मे को अपने संगठन का मकसद बनाया। एच॰एस॰आर॰ए॰ की वैचारिक विरासत पर बात रखते हुए दिशा छात्र संगठन एक अंगद ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन के दौर में एच॰एस॰आर॰ए॰ के क्रांतिकारियों ने अपने संगठन को कांग्रेस और गाँधीजी से अलग एक ऐसे संगठन के रूप में स्थापित किया था जो अंग्रेजों की लूट के साथ-साथ देशी पूँजीपतियों, जमींदारों और राजे-रजवाड़ों के शासन के खिलाफ था। इन क्रांतिकारियों ने पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष और बराबरी पर टीके समाज की कल्पना की थी। इन क्रांतिकारियों का यह भी मानना था कि अंग्रेजों के खिलाफ अगर लोगों को एकजुट करना है तो उनके बीच की जातिगत और धार्मिक बँटवारे की दीवार को गिराना होगा। ऐसे में एच॰एस॰आर॰ए॰ की विरासत ही अतीत की वह विरासत है जो आज के समय में समाज में बदलाव के लिए एक रोशनी दिखा सकती है। नीशू ने इस दौरान क्रान्तिकारी कवि शशिप्रकाश की कविता ‘अगर तुम युवा हो!’ का पाठ किया।

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