जान है तो जहान है, वरना सब बेकार है।
- लखनऊ। जान है तो जहान है, वरना सब बेकार है। शायद इसीलिये दो महीने से अधिक समय से लखनऊ के घण्टाघर में नागरिकता सुरक्षा कानून (सीएए) के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने कोरोना खौफ के चलते अपना धरना स्वतः खत्म कर दिया
- आश्चर्यजनक बात यह रही कि जिन महिलाओं को मोदी-योगी सरकार और पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारी नहीं समझा सके थे कि सीएए देश के मुसलमानों को खिलाफ नहीं है, उसे कोरोना वायरस ने समझा दिया।
- वरना धरना दे रही दादियां यहीं हुंकार भर रही थीं कि अगर सीएए वापस नहीं हुआ तो वह लोग मरते दम तक नहीं हटेेंगी लेकिन जब मौत सिर चढ़कर बोलने लगी तो सबने जान बचाने के लिये घण्टाघर से चले जाना ही बेहतर समझा।
- यानी कोरोना वायरस ने धरना दे रही दादियों को यह बात अच्छी तरह से समझा दी कि बेहतरी इसी में हैं कि वह यहां से निकल लें। इसी के साथ नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ घण्टाघर में चल रहा महिलाओं का धरना खत्म हो गया।
पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय से हुई बातचीत
- सोमवार की सुबह पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय से हुई बातचीत के बाद महिलाओं का प्रदर्शन खत्म हो गया। बता दें कि बीते 17 जनवरी से यहां महिलाएं धरने पर बैठी थीं।
- बहरहाल धरना खत्म करते समय भी महिलाएं यही जताती रहीं की वह धरना खत्म करके मानो प्रशासन पर बड़ा उपकार कर रही हों।
- पुलिस ने प्रदर्शन कर रही सभी महिलाओं को सुरक्षित घर पहुंचाया।
- लखनऊ के पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय ने देर रात महिलाओं से बातचीत की थी और कोरोना से बढ़ते खतरे के प्रति आगाह किया था।
धरनास्थल पर अपना दुपट्टा छोड़कर गयी महिलाएं
- प्रदर्शन से हटने के बाद महिलाएं धरनास्थल पर अपना दुपट्टा छोड़कर गयी हैं।
- धरनास्थल पर झण्डा भी फहरा रहा है। धरना दे रही महिलाओं का कहना था कि कोरोना खत्म होगा तो वापस प्रदर्शन करने आयेंगे।
- धरनास्थल पर सांकेतिक तौर पर मौजूदगी के लिये प्रदर्शनकारी महिलाओं ने यह कदम उठाया है। लखनऊ पुलिस की कार्यवाही से प्रदेश सरकार की यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
- दंगाइयों पर वसूली के लिये पोस्टर की कार्यवाही के बाद घण्टाघर का प्रदर्शन खत्म करवाना सरकार की बड़ी सफलता है।