समाजवादी पार्टी के एक तिहाई जिलाध्यक्षों की होगी छुुट्टी
उपचुनाव के नतीजों के बाद!
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में गठबंधन की सियासत में झटका खाए सपा प्रमुख अखिलेश यादव अगला चुनाव अपने दम पर अकेले लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। उपचुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद समाजवादी पार्टी मिशन संगठन में जुटेगी। वर्ष 2022 के लिए तैयार हो रही टीम और अधिक युवा दिखेगी। एक तिहाई जिलाध्यक्षों की छुुट्टी कर नए चेहरों को आजमाने की तैयारी है।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए संगठन को नए सिरे से गढ़ा जाएगा। सूत्रों का कहना है कि चुनाव होने तक जनसमस्याओं को लेकर पार्टी सरकार से दो-दो हाथ करने की तैयारी में है। इसी रणनीति के तहत जिलेवार समीक्षा का दौर भी पूरा हो चुका है। गत चुनावों में बेहतर प्रदर्शन नहीं करने वालों को चिन्हित करके निष्क्रिय पदाधिकारियों के स्थान पर सक्रिय को जगह दी जाएगी। युवाओं को वरीयता देने की तैयारी है ताकि संगठन के तेवर को और तीखा किया जा सके। फ्रंटल संगठनों को भी नए सिरे संवारा जाएगा। युवाओं के संगठनों से उम्रदराज पदाधिकारियों को हटा कर अधिकतम 35 वर्ष आयु वाले नेताओं को ही जगह मिलेगी।
सपा के कुनबा बढ़ाओ अभियान में अन्य दलों से आए नेताओं का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। बदले राजनीतिक हालात में सपा ने दागियों से फासले रखने की मनस्थिति में भी बदलाव किया है। अखिलेश यादव भी कह चुके हैं कि पार्टी की मजबूती के लिए नेताओं पर दर्ज मुकदमों को बाधक नहीं माना जाएगा।
संगठन के जरिए जातीय वोटों का गणित भी साधा जाएगा। भाजपा के पिछड़ा वर्ग कार्ड की काट करने के लिए अन्य पिछड़े वर्ग को संगठन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। बसपा से गठबंधन टूटने के बाद दलितों को भी जोड़ा जाएगा। क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए पुराने क्षत्रपों का भी ध्यान रखने की मंशा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए सवर्ण वर्ग को भी जोडऩे की तैयारी है।