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लखनऊ में शुक्रवार को 108 एंबुलेंस कर्मियों ने संवेदनहीनता की हदें पार कर दी।
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इलाज के लिए ट्रामा आया बुजुर्ग मरीज एंबुलेंस में पड़ा तड़पता रहा, वहीं ईएमटी व पायलेट ने तीमारदार को गाड़ी साफ करने का आदेश कर दिया।
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एंबुलेंस कर्मियों ने तीमारदार द्वारा एंबुलेंस की सफाई करने के बाद ही मरीज को ले जाने दिया।
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सुलतानपुर के जगदीशपुर में एक दुर्घटना में शुचिकला और दिलबक्स दो लोग बुरी तरह से जख्मी हो गये थें।
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शुचिकला और दिलबक्स के सिर व शरीर के अन्य अंगों में काफी चोटें लगी थी। जिसके बाद उन्हें एक एंबुलेंस (नंबर- यूपी 41 जी 3039) से लखनऊ के ट्रामा सेंटर पर लाया गया।
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एंबुलेंस से ट्रामा लाये जाने के दौरान शुचिकला ने गाड़ी में ही उल्टी कर दी थी, इसके अलावा उसका खून भी स्टेचर पर फैल गया था।
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ऐसे में शाम को ट्रामा सेंटर पहुंची एंबुलेंस से घायल बुजुर्ग दिलबक्स को तब ही गाड़ी से उतरने दिया गया जब तीमारदार ने शुचिकला को भर्ती कराकर वापस आकर गाड़ी साफ की।
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आलम यह रहा कि घायल बुजुर्ग दर्द से तड़पता रहा लेकिन एंबुलेंस कर्मियों ने उसे तुरंत भर्ती नहीं कराने दिया।
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जबकि सभी ईएमटी और पायलेट को स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि तीमारदारों से सफाई नहीं करायी जा सकती है। राजधानी की यह घटना विभाग की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है।
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