Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

स्वधा बनी सबसे कम उम्र की फिल्म डॉयरेक्टर, 15 साल की उम्र में बनाई मूवी

हुनर की कोई उम्र नहीं होती शायद तभी कहा जाता है कि “सपने वो देखते हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है”। जी हां! ये बात सच कर दिखाई है लखनऊ के लामार्टिनियर गर्ल्स कॉलेज में पढ़ने वाली महज 15 वर्षीय स्वधा ने। अगर आप से कोई कहे कि पंद्रह साल की लड़की फिल्म की डॉयरेक्टर बन गई है तो आप यकीन नहीं करेंगे। आप सोंचेंगे कि लोग कई कई वर्षों तक पापड़ बेलते हैं लेकिन फिल्म डॉयरेक्टर तो दूर एक उन्हें फिल्मों में काम तक नहीं मिलता। लेकिन इन बातों पर लखनऊ की स्वधा ने विराम लगा दिया है। अब वह सबसे कम उम्र की महिला फिल्म डॉयरेक्टर बन गई हैं।

हुनर और हौसला उम्र के मुहताज नहीं

फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ की शशि गोडबोले और ‘एल’ की मिडिल क्लास वाइफ जैसी न जाने कितनी महिलाएं हैं हमारे देश में जिन में कइयों को कार ड्राइविंग करनी है, कई पाइलट बन कर प्लेन उड़ाना चाहती हैं, कोई अंतरिक्ष में जाना चाहती है तो किसी को शूटर बना है। किसी का सपना है कि वह एवरेस्ट की चढ़ाई करे तो कोई शादी के बाद मौडलिंग करना चाहती है।

किसी को डांस का शौक है तो कोई सिंगर बनना चाहती है। किसी को दंगल में धोबीपछाड़ लगानी है तो कोई अपनी अधूरी छूटी पढ़ाई को पूरा कर के डाक्टर या टीचर बनना चाहती है। लेकिन सब अपने परिवार की जिम्मेदारियां निभाने में कहीं पीछे छूट गईं। लेकिन जब आज वे फिर से अपने अधूरे ख्वाबों के परवाजों को पंख देना चाहती हैं तो समाज और परिवार उन्हें उम्र का हवाला दे कर उड़ने से रोकता है। कहता है कि इस उम्र में अब काहे जगहंसाई करवाओगी। चुपचाप घर में बैठो और बच्चे पालो।

इस देश में कई मिसालें हैं जब महिलाओं की उम्र जान कर उन्हें कमजोर अांकने की गलती की गई। उन्होंने अपने साहस, लगन और बहादुरी से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर कुछ करने का जज्बा हो तो आप शिखर पर पहुंच सकते हैं। जिनके हौसलों में दम होता है वे इन अड़चनों को आसानी से पार करने के लिए उम्र और अपनों के हतोत्साहन को रौंदते हुए न सिर्फ अपने सपनों को पूरा करती हैं बल्कि समाज और महिलाओं को यह संदेश भी दे जाती हैं कि हौसला और हुनर उम्र के मुहताज नहीं होते।

बच्चों की गरीबी देख कर बनाई फिल्म

स्वधा ने बताया कि वह खबरें देखती और पढ़ती रहती हैं। उन्होंने सुना और देखा कि गांवों के स्कूलों में गरीब बच्चों को किताबे तक नसीब नहीं होती। उन्होंने देखा कि गांवों के गरीब लोगों को सरकारी सुविधाएं तक नहीं पहुंचती। इसलिए उनके दिमाग में आया कि इस पर एक फिल्म बनाई जाये इसके जरिये लोग जागरूक हो सकते हैं। बस उन्होंने इसपर अपने माता पिता के सहयोग से काम किया और 170 मिनट की फिल्म तैयार कर दी।

ये भी पढ़ें- हरदोई में पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़, तीन बदमाश गिरफ्तार

ये भी पढ़ें- पुलिस चौकी के पास बदमाशों ने फीनिक्स मॉल के गार्ड को गोली मारी

Related posts

हरदोई में मासूम बच्ची के साथ रेप हत्या के दोषी को फांसी की सजा

Desk
4 years ago

बेनामी संपत्ति रखने वालों का काला धन जप्त करेगा आयकर विभाग

Mohammad Zahid
8 years ago

सीबीआई कोर्ट के अधिकारी ने काटी हाथ की नसें, हड़कंप!

Sudhir Kumar
7 years ago
Exit mobile version