राजधानी में करीब 100 ऑटो टेंपो ई-रिक्शा स्टैंड में पर 61 के करीब ऑटो टेम्पो, 8,000 ऑटो 15000 से अधिक ई-रिक्शा का संचालन होता है. सफेद पोशों के संरक्षण में चल रहे स्टैंड पर चालकों से वसूली का जिम्मा इलाके में गुंडों, हिस्ट्रीशीटर और वह पुलिस के मुखबिर के पास होता है. भाषा परिवहन विभाग के नाम पर 300 से रु 800 मासिक और इसके संचालन वेलफेयर के रूप में रु 50 की वसूली की जाती है. पुलिस के नाक के नीचे चल रहे अवैध वसूली के इस खेल से वाकिफ तो पुलिस भी है लेकिन पुलिस को शायद इसकी कोई फ़िक्र नहीं है.
गुंडों की मेहरबानी से चलते हैं ऑटो
- 800 प्रति महीना के अलावा टोकन के रूप में रु 50 रोजाना भी वसूली होती है.
- पुलिस व परिवहन विभाग के नाम पर रु 800 की उगाही के साथ डेढ़ लाख रुपए वसूली करने वालों का हिस्सा है.
- वसूली के लिए बाकायदा कर्मचारी तैनात कर रखे गए हैं.
- चार बाग के रूट पर रु 300 के हिसाब से रु 75000 महीने और टोकन के रु30 के रूप में सवा दो लाख रूपये तक की वसूली होती है.
- मुंशी पुलिया, आलमबाग, ट्रांसपोर्ट नगर, अमीनाबाद, IT, पॉलिटेक्निक कैसरबाग, PG,I तेलीबाग, अलीगंज, चौक, मड़ियांव, जानकीपुरम, पुरनिया, विकास नगर और महानगर आदि ऑटो स्टैंड पर वसूली माफिया के गुर्गे चौबीसों घंटे मुस्तैद रहते हैं.
- मोटे पाइप हमें हाथों में यह गुर्गे ऑटो में सवारियां बैठाने में चालक की मदद करते हैं.
- टोकन के रुपए देकर ही चालक टेंपो ऑटो ई रिक्शा को वहां से सवारी के साथ ले जा सकता है.
- इसके साथ ही यह वसूली कैमरों की नजर से छिपकर की जाती है.
प्रतिमाह 2 करोड़ की वसूली:
- राजधानी के टैम्पो, ऑटो से 2 करोड़ की वसूली हर महीने लखनऊ के अंदर हो रही है.
- ट्रैफिक पुलिस,परिवहन विभाग पैसे में हिस्सेदार भी हैं.
- प्राइवेट युवक वसूली करके पैसा पहुंचाते हैं.
- शहर में धड़ल्ले से दौड़ रहे बिना परमिट टैंपो लेकिन इनको रोकने वाला कोई नहीं है.
- पीछे सीएनजी लिखवाकर डीजल से संचालित ऑटो भी हैं.
- 11-11 लाख रुपए में एक-एक स्टैंड का ठेका दिया जाता है.
- टोकन लेने के बाद ही सवारी बैठाना होता है.
- बिना टोकन ऑटो वाला सवारी नहीं बैठाता.
- परिवहन में वेलफेयर के नाम अवैध वसूली.
- लखनऊ में 100 से अधिक ऑटो स्टैंड हैं.
पुलिस और परिवहन विभाग को भी जाता है पैसा:
- सूत्रों के मुताबिक इस वसूली की मोटी रकम पुलिस और परिवहन विभाग को भी जाती है.
- इन्हीं इलाकों में पुलिस दो पहिया वाहनों को पकड़ती है उनका चालान काटती है.
- लेकिन कभी भी पुलिस की नजर नहीं पड़ती है जहाँ हर महीने करोड़ों की वसूली हो रही है.
- पुलिस ट्रैफिक और परिवहन विभाग का हिस्सा पहुंचा कर वसूली माफिया करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं.
- इस बाबत पुलिस का रटा रटाया जवाब आता है कि इसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी.
- लेकिन ना तो कोई बड़ी कार्रवाई होती दिख रही है और ना यह धंधा रुकने का नाम ले रहा है
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Kamal Tiwari
Journalist @weuttarpradesh cover political happenings, administrative activities. Blogger, book reader, cricket Lover. Team work makes the dream work.