आज का ज़माने में अगर श्रवण कुमार की बात की जाये तो लोग इसे त्रेता युग की बात कह के टाल देंगे पर ये त्रेता युग का नहीं बल्कि कलयुग का ही दृश्य है जो साक्षात् पानीपत में देखने को मिल रहा है. यहाँ 2 बेटों ने अपने बूढ़े माँ बाप को कंधे पर बैठा के कांवड़ यात्रा निकली. वैसे तो उन्हें सारे पुण्य मिल ही गये पर माँ बाप की इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया.
बूढ़े माँ बाप को कंधे पर ले जा रहे 2 सगे भाई:
सावन के इस माह में शिव भक्तों की जय-जयकार के नारे हर तरफ सुनाई दे रहे हैं, भारी संख्या में शिव भक्त हरिद्वार से कावड़ लेकर निकल रहे है। लेकिन एक अनोखी कावड़ ने सबका दिल जीत ली लिया, जिसमे 2 सगे भाई अपने बूढ़े माँ बाप को अपने कंधों पर लेकर हरिद्वार से चलकर पानीपत जा रहे है.
शामली पहुंची यह कांवड़ यात्रा:
आपको बता दे अपने कंधों पर बूढ़े माँ बाप को लेकर जाते इन बेटो का नाम ब्रजबीर व पप्पन है, जो पानीपत के निवासी है। दोनो सगे भाई 1 अगस्त को हरिद्वार इस पावन कावड़ यात्रा को लेकर चले थे।
फिलहाल ये कावड़ यात्रा शामली जनपद में पहुँची है। जिसको देखने के लिए स्थानीय लोगो का भी ताता लगा हुआ है। एक बार फिर लोगो को इस कावड़ यात्रा ने त्रेतायुग के श्रवण की याद दिला दी.
इस कलयुग के जमाने मे जहाँ बच्चे अपने माता पिता को बोझ समझते है वही इन बेटो ने अपने माँ बाप का सर फक्र से ऊंचा कर दिया। इन माँ बाप की जुबां से सिर्फ अपने बच्चो के लिए दुआ ही निकल रही है।