1400 साल पहले इराक में स्थित मस्जिद-ए- कूफा में 21वीं रमजान के दिन सुबह नमाज अदा करते समय दामाद-ए-पैगंबर हजरत अली की शहादत हो गई थी। इसके चलते गमगीन माहौल में बुधवार को पुराने लखनऊ में 21वीं रमजान 2017 का जुलूस कड़ी सुरक्षा के बीच निकला गया। सुबह से ही जुलूस में हजारों की तादात में लोग शामिल हुए। जुलूस में चप्पे चप्पे पर पुलिस का पहरा रहा। पुलिस दूरबीन और ड्रोन की मदद से जुलूस पर निगरानी कर रही थी। यह जुलूस रोजा-ए-काजमैन थाना सआदतगंज से शुरू होकर मंसूर नगर तिराहा, गिरधारी सिंह कुंवर इण्टर कॉलेज, टुड़ियागंज तिराहा से बांये मुड़कर नक्खास, अकबरी गेट, पाटानाला चौकी, शिया कालेज होते हुये सेन्ट ज्यूड्स केजी एवं प्राइमरी स्कूल इमामबाड़ा मो. तकी के पास जाकर समाप्त हुआ।
क्यों निकाला जाता है जुलूस?
पुराने लखनऊ में ताबूत जुलूस उठकर जुलूस निकाला गया। जिसमे बड़ी तादात में शिया समाज से जुड़े हुए लोग शामिल हुए। इस ताबूत जुलूस में अल्लाह के आखिरी नबी हजरत मोहम्मद साहब के जानशीन पहले इमाम हजरत अली अलैहिस्सलाम की शहादत पूरे शहर में मनाई गई। मुस्लिम धर्मगुरुओं के अनुसार यह जुलूस 19वीं रमजान को दामाद-ए-पैगंबर हजरत अली की याद में निकाला जाता है। इसमें परंपरागत तरीके से सुबह से ही लोग जुलूस में शामिल होते हैं। इस दौरान मजलिस भी होती है, मजलिस में हजरत अली की शहादत का किस्सा सुनकर माहौल गमगीन हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद से उनकी याद में 19वीं रमजान से जुलूस और मजलिसों का दौर शुरू होता है। यह सिलसिला 21वीं रमजान को समापन होता है। लखनऊ में हजऱत इमाम अली अलैहिस्सलाम कु शहादत के गम में बहुत ही ग़मगीन माहौल में 21वीं रमज़ान का जुलूस निकाला गया।
ड्रोन की निगरानी और इतनी फोर्स का रहा पहरा
➡अपर पुलिस अधीक्षक-16
➡अपर जिला मजिस्ट्रेट- 16
➡पुलिस उपाधीक्षक- 34
➡उप जिला मजिस्ट्रेट- 34
➡निरीक्षक- 20
➡थाना प्रभारी- 34
➡उप निरीक्षक- 300
➡हेड कांस्टेबल- 150
➡कांस्टेबल- 1200
➡पीएसी/आरएएफ- 10 कंपनी
➡CCTV कैमरा – सम्पूर्ण क्षेत्र नगर पश्चिमी
➡ड्रोन कैमरा- 2
➡CCTV युक्त वैन- 2
➡स्पेशल मोबाईल- 20
➡मोटर साईकिल स्क्वॉड- 12
➡घुड़सवार पुलिस- 10
इसके अलावा (Ramadan julus 2017) सोशल मीडिया में व्हाट्सप्प, फेसबुक, ट्विटर पर निगरानी के लिए क्राइम ब्रांच साइबर क्राइम सेल को लगाया गया।