उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य खतरे में है. यह कहना गलत नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों (primary schools) में शिक्षा भगवान भरोसे ही चल रही है.
शिक्षकों की कमी के कारण बुरा हाल:
- शिक्षा व्यवस्था इतनी अव्यवस्थित है जिसका कोई अंदाजा नहीं है.
- कहीं टीचर नहीं, कहीं टीचर है तो बच्चे नही.
- बेसिक शिक्षा के 3000 से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं.
- वही बेसिक शिक्षा में कई नए प्राइमरी स्कूल बिना परमानेंट टीचर के चल रहे हैं.
- शिक्षामित्रों के सहारे बच्चों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है.
- 13 जून को आई नई ट्रांसफर पॉलिसी लेकिन अभी तक इसके लिए कोई आवेदन नहीं आया है.
- शिक्षकों की नियुक्ति में किसी भी अनुपात का ध्यान नहीं रखा जा रहा है.
- 3000 से अधिक स्कूलों में एक टीचर बताता है कि शिक्षा विभाग का रवैया कितना लचर है.
- वहीँ इन स्कूलों में दोपहर में परोसे जाने वाले भोजन को लेकर भी अव्यवस्था देखने को मिलती है.
- खाने के नाम पर खिचड़ी दी जाती है.
- लेकिन खाना बनाने के दौरान साफ़-सफाई का ध्यान नहीं दिया जाता है.
- अब जिन स्कूलों में टीचर ही न हो वहां की व्यवस्था के बारे क्या उम्मीद की जा सकती है.
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