उत्तर प्रदेश जेलों में बंद कैदियों को एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। एनएचआरसी के नोटिस के बाद प्रमुख सचिव गृह ने कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव आने पर सफाई दी है। 31 जनवरी 2018 तक उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद 99000 बंदियों में से 356 बंदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। एचआईवी पॉजिटिव पाए बंदियों का मेडिकल कॉलेजों पर इलाज किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार जानकारी देते हुए बताया कि यूपी की जेलों में बंद कैदियों में सिर्फ 0.36 फ़ीसदी कैदियों में ही एचआईवी पॉजिटिव की शिकायत मिली। जेल में बंद कैदियों में जागरूकता के लिए सरकार ने 15 से 18 जनवरी तक ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया। 45 जिलों के 64 चिकित्सा अधिकारी व पैरामेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई। जेलों में बंद कैदियों का समय-समय पर मेडिकल परीक्षण किया जाता है।
जेल में बंद कैदियों के समुचित उपचार के लिए जरूरी निर्देश दिए जा चुके हैं। एनएचआरसी के भेजे नोटिस पर प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने जानकारी देते हुए जेलों में एचआईवी पॉजिटिव की रिपोर्ट को तथ्यात्मक तौर पर गलत बताया। बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गोरखपुर मेरठ समेत यूपी के तमाम जिलों में बंद कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने पर सरकार को नोटिस भेजा था।
बता दें कि गोरखपुर और गाजियाबाद के बाद यूपी के मेरठ की जिला जेल में एचआईवी पॉजिटिव कैदी पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला जेल में 10 कैदी एचआईवी से संक्रमित हैं और उनका मेरठ मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर में इलाज चल रहा है। कॉलेज के सीएमओ डॉक्टर राज कुमार ने बताया कि सभी पीड़ित विचाराधीन कैदी हैं और जेल में लाए जाने से पहले ही ये एचआईवी पॉजिटिव हो चुके थे।
इससे पहले शुक्रवार को गाजियाबाद के डासना जेल में 27 कैदी एचआईवी संक्रमित पाए गए थे। डासना जिले के मेडकल ऑफिसर ने 5000 कैदियों के एचआईवी टेस्ट के आदेश दिए थे, जिसमें 27 कैदी पॉजिटिव पाए गए। हालांकि, यह संख्या पिछले साल के मुकाबले कम है। पिछले साल 49 कैदी एचआईवी संक्रमित पाए गए थे।