- केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा बेटियों के बेहतर जीवन के लिए चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं के बावजूद प्रदेश के कई जिलों में लिंगानुपात में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
- केन्द्र की “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” योजना को जोर शोर से लागू करने और राज्य की कन्या विद्याधन जैसी लुभावनी योजनाओं को बाद भी बेटियों की कम होती संख्या चिंता का विषय है।
- स्वास्थ्य विभाग की सूची में प्रदेश के 37 जिलों को रेड लिस्ट में शामिल किया गया है।
- मेरठ सबसे कम लिंगानुपात वाला जिला बन गया है, जहां 2012 के मुकाबले 2016 में प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 1081 से घटकर मात्र 804 हो गयी हैं।
- लिंगानुपात को लेकर सबसे बड़ी गिरावट अलीगढ़ में दर्ज की गई है, यहां प्रति हजार लड़को पर 839 लड़कियां है।
- गौतमबुद्ध नगर में प्रति हजार लड़कों पर 866 लड़कियां और मेरठ में प्रति हजार लड़कों पर सिर्फ 810 लड़कियां बची है।
- इसी के साथ पूरे प्रदेश का लिंगानुपात वर्ष 2012 की तुलना में 2016 में 921 से घटकर 893 रह गया है।
- मेरठ के बाद सबसे खराब लिंगानुपात बांदा का है, यहां 2012 में प्रति एक हजार लड़कों पर 902 लड़कियों की तुलना में वर्ष 2016 में यह आंकड़ा प्रति एक हजार पर मात्र 810 का रह गया है।
- वहीं दूसरी तरफ बदायूं, झांसी और फिरोजाबाद जिलों में लिंगानुपात में सुधार हुआ है।
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