नोट बंदी का असर पूरे देश में देखने को मिल रहा है। इससे आम जनता परेशान तो है लेकिन एक तरह से देखा जाये तो खुश भी। कारण यह है कि देश भर में सबसे ज्यादा लखनऊ की हवा जहरीली थी। यहां प्रदूषण भी काफी ज्यादा था। यह कई दिनों तक अखबारों की सुर्खियां बनती रहीं। शहर में मेट्रो के चक्कर में लोगों को दिनभर जाम से जूझना पड़ रहा था। लेकिन जब से नोटों की बंदी हुई है तब से प्रदूषण तो काम हुआ ही है बल्कि ट्रैफिक जाम भी नहीं लगता। सामान्य यातायात से लोग काफी खुश हैं। जिम्मेदार अधिकारी भी मान रहे हैं कि नोटों की बंदी ने शहर में प्रदूषण के साथ यातायात को नियंत्रित किया ही है साथ में अपराध पर भी नियंत्रण हुआ है।
हवा में था जहर, आंखों से निकलते थे आंसू
- नोट बंदी से पहले प्रदूषण की मार से लखनऊ भी अछूता नहीं रहा था।
- शहर में छा रही धुंध के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही थी।
- अंधाधुंध निर्माण और शहर में जाम के कारण गाड़ियों से निकलते धुंए ने शहर को बेहाल कर दिया था।
- बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक मॉस्क लगा कर घरों से निकल रहे थे।
- सूबे में धुंध और सड़कों पर हवा में ‘जहर’ का असर साफ दिख रहा था लोगों की आँखों से आंसू निकल रहे थे।
ट्रैफिक जाम से मिली राहत
- शहर में मेट्रो निर्माण और धरना प्रदर्शनों के चक्कर में लोगों को दिनभर जाम से जूझना पड़ रहा था।
- लेकिन नोट बंदी का असर सड़कों पर भी साफ देखने को मिल रहा है।
- लोग सुबह से ही बैंको और एटीएम के बाहर लाइन में लगे रहते हैं।
- इससे सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम हो जाने से प्रदूषण पर लगाम लगी है।
- साथ ही ट्रैफिक भी कंट्रोल हो गया है।
अपराधों पर भी लगी लगाम
- सुबह से लेकर देर रात तक राजधानी की सड़कों, बाजारों और चौराहों पर दिनदहाड़े महिलाओं से चेन और पर्स लूट करने वाले खूंखार अपराधी भी नोट बंद होने के बाद खामोश हो गए हैं।
- अपराधियों के मन में भी यह संकोच है कि अगर वह वारदात को अंजाम देते हैं तो लूटी गई रकम कहां खपायेंगे।
- बैंकों और एटीएम के बाहर तो लाइनें लगीं हैं।
- ऐसे में पुलिस को अपराधियों से थोड़ी राहत मिली है।