आदमखोर जानवरों के हमले से जख्मी बालिका ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. इस घटना से जानवरो के हमले से जान गंवाने वाले बच्चों की संख्या 13 से बढ़कर 14 हो गई है. जानवरों का आतंक इस कदर है कि मासूमों की मौत व घायलों का आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. इनकी मौतों के बावजूद अभी तक प्रशासन इन जानवरों पर अंकुश नहीं लगा पाया है. इसके साथ अभी भी मासूमों पर हमले की संभावना बनी हुई है. मानपुर के ग्राम खैरमपुर निवासी छोटेलाल की पुत्री सोनम गुरुवार को गांव के बाहर बाग में नित्यक्रिया के लिए गई थी इसी बीच कुत्तों के झुंड ने उसके ऊपर हमला बोल दिया. जिसकी वजह से वो गंभीर रूप से घायल हो गई थी. परिवार ने गंभीर हालत में उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया जहां बालिका ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है. अब तक 14 बच्चे बेमौत मारे जा चुके हैं तो वहीं 29 बच्चे घायल हुए हैं.
बेमोल होते जा रहे सीएम के वचन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक जिले में जा चुके हैं. जिन्होंने इन आदमखोर जानवरों के आतंक पर रोक लगाने की बात कही थी, बावजूद इसके हमले अब भी जारी हैं. ना तो जानवरों के हमले रुके हैं ना ही मासूमों के घायल होने व मरने का सिलसिला रुका है. कुल मिलाकर लोग दहशत में हैं. जिम्मेदार कार्यवाही का ढिंढोरा पीट रहे हैं और मासूम बेमौत काल के गाल में समाते जा रहे हैं.
6 Months, 14 children killed, 29 kids injured by the attacks of wild animals in Sitapur. All we have heard that several Teams/ Experts visited but none could prove who the attackers are. High time @myogiadityanath intervenes and let DM Sheetal Verma ask Govt Forest Dept to lead.
— Anil Tiwari (@Interceptors) May 19, 2018
सांस नली में अवरोध से हुई मौत
सूत्र बताते हैं कि आदमखोर जानवर के हमले से घायल होने वाली बालिका की सांस नली में अवरोध की वजह से मौत हो गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है.
DM के दावे पर ह्यूमन सोसाइटी ऑफ इंडिया ने लगाए सवालिया निशान
नरभक्षी जानवरों के आतंक से छुटकारा दिलाने को लेकर जिला प्रशासन कितना संजीदा है. इसका अंदाजा डीएम की गैर जिम्मेदाराना कारगुजारी से लगाया जा सकता है. जिन संस्थाओं के हवाले से DM ने उन हमलावर जानवरों के कुत्ते ही होने का दावा किया है. जिसपे संस्था ने इस तरह की कोई रिपोर्ट तैयार करने की बात सिरे से खारिज कर दी है. संस्था जानना चाहती है कि DM ने उनके हवाले से ये रिपोर्ट क्यों दी ? संस्था ने डीएम को पत्र लिखकर बयान बदलने की गुजारिश की है.
आखिर कुत्ता है या भेड़िया…?
वही पशु प्रेमी हमलावर जानवरों को भेड़िया बता रहे हैं. इस दौरान डीएम शीतल वर्मा हमलावर जानवरों को कुत्ते होने का लगातार जोर देते हुए सजग रहने की अपील ग्रामीणों से कर रही हैं. पिछली 17 मई को प्रेस रिलीज जारी कर DM ने ह्यूमन सोसाइटी ऑफ इंडिया और वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के हवाले से कहा कि जिले के सभी घटनाओं में हमला करने वाले भेड़िए नहीं बल्कि कुत्ते हैं. इन कुत्तों का चिन्हांकन करने में डीएम ने जनपदवासियों सहयोग मांगा है. कंट्रोल रूम का नंबर भी जिले में सभी जगह पहुँचाया है. ताकि ऐसी घटना होने पर सूचना देने की बात कही है.
कुत्ते होने पर दावा किए जाने पर हैरान
8 बिन्दुओं की इस प्रेस रिलीज में डीएम ने कुत्तों की हत्या न करने और सजग रहने की अपील की है. उधर ह्यूमन सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से 18 मई को डीएम को पत्र लिखकर इस तरह की रिपोर्ट जारी करने की बात से इनकार किया है. सोसाइटी ऑफ इंडिया के टॉप मनेजमेंट मैनेजर पीयूष पटेल ने डीएम को भेजे पत्र में कहा है कि 17 मई को डीएम सीतापुर शीतल शर्मा की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में सोसाइटी ऑफ इंडिया के हमलावरों के कुत्ते होने पर दावा किए जाने पर वह हैरान है. पत्र में कहा गया है कि कुत्तों की हत्या नहीं करने की अपील का हम समर्थन करते हैं.
HSI India @IndiaHSI denies that they have given any report to DM Sitapur @dm_sitapur stating that Dogs are responsible for the attacks in children. They maintain that DM Sheetal Verma @IASassociation has misquoted them @PetaIndia @CMOfficeUP pic.twitter.com/BHoimo8RE4
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) May 18, 2018
प्रशासन का कहना है कि @IndiaHSI झूठ बोल रहा है। HSI का ऑडियो रेकॉर्डिंग है 20 मिनट का उनके पास जिसमे डॉ राकेश बोल रहे है कि आदमखोर कुत्ते है। ऑडियो प्राप्त करने की कोशिश जारी है @Interceptors द्वारा। https://t.co/LWFXIEH569
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) May 18, 2018
दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है मौतों का आंकड़ा
ये जानवर भले ही मानवता को झकझोर देने वाली घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, मासूम घरों में दुबके हुए हैं, लोग भयभीत हैं बावजूद इसके प्रशासन का आदमखोरों के निपटने का तरीका बेहद शर्मसार करने वाला है. ऐसा लग रहा है कि जैसे आदमखोर जानवरों के आगे पूरे सिस्टम ने हथियार डाल दिए हो. उन आदमखोरों को मारना तो बहुत दूर की बात है उन्हें पकड़ने में भी कोई खास तेजी नजर नहीं आ रही है. खूंखार जानवरों से निपटने की तैयारियों पर अगर ध्यान दें तो प्रशासन महज जागरूकता अभियान चलाता नजर आ रहा है. जिनमें ढोल नगाड़े से लेकर प्रशासनिक अमला गांव की गली कूचे में लोगों को आदमखोर कुत्तों से सचेत करता नजर आ रहा है.
होशियार रहो सावधान रहो
हालत यह है कि जो लोग आदमखोर जानवरों के प्रति लोगों को सचेत कर रहे हैं. अगर दुर्भाग्यवश इन टीमों का सामना आदमखोर जानवरों से हो जाए तो इन टीमों के पास उनसे निपटने का कोई इंतजाम नहीं है. उन जानवरों के सामने आते ही या तो यह टीमें भाग कर जाएँगी या फिर खुद को ही नोचवा डालेंगी. ऐसे में स्थिति साफ है कि आखिर प्रशासन इन आदमखोरों से कैसे निपट रहा है. ये लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि या तो इन जानवरों को मार देना चाहिए या तो पकड़ लेना चाहिए. उन पर अंकुश लगाने की बजाए लोगों को यह कहा जा रहा है कि होशियार रहो सावधान रहो. जबकि कुत्तों को पकड़ने उन्हें ठिकाने लगाने के लिए कोई इंतजाम नहीं है प्रशासन का.