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अखिलेश यादव सरकार में NGO को दिए जाने वाले ग्रांट में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. इस गड़बड़ी की बात RTI एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने कही है. उनका कहना है कि NGO को दिए जाने वाले ग्रांट का लगभग 86 फीसदी एक ही NGO को दिया गया. ये NGO अपर्णा यादव का है. पूरा मामला अखिलेश यादव सरकार के वक्त का बताया जा रहा है. इसका खुलासा एक RTI के जरिये हुआ है.
नियमों को ताक पर रख दिया गया ग्रांट:
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- RTI एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने पूरे मामले में अखिलेश यादव सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाये हैं.
- उन्होंने कहा कि RTI से प्राप्त जानकारी अखिलेश यादव सरकार की मंशा पर सरकार उठाते हैं.
- अपर्णा यादव द्वारा संचालित जीव आश्रय संस्था को सपा सरकार ने 2013 से 2017 तक कितना अनुदान मिला, इसका ब्यौरा है.
- उन्होंने कहा कि शासन और गौसेवा आयेाग दोनेां से फंड की जानकारी मांगी थी।
- वहीं शासन ने RTI के जवाब में कहा कि शासन की ओर से जीव संरक्षण संस्था को अनुदान दिया गया.
- लेकिन जिस तरीके से धन दिया गया वो अपने आप में सवालों के घेरे में है.
- नूतन ठाकुर का आरोप है कि बात साफ है कि अनुदान देते वक्त नियमों को ध्यान नहीं रख गया.
- ग्रांट के लिए गोसेवा आयोग के निदेशक की संस्तुति की जरुरत होती है.
- लेकिन ऐसे किसी प्रकार के प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है.
- उन्होंने कहा कि सपा परिवार के लोगों ने बेहिसाब सम्पत्ति बनाने के लिए ये सब किया है.
- ये एक प्रकार से आर्थिक भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा देता है.
- डॉ संजय यादव की ओर से दी गई 23 मई 2017 की सूचना के अनुसार कान्हा उपवन, नादरगंज, लखनऊ में संचालित है.
जीवाश्रय अकेले अन्य NGO पर हावी:
- वर्ष 2012-2017 के 05 सालों में गोशालाओं को कुल 9.66 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया.
- 8.35 करोड़ रुपये अकेले जीव आश्रय संस्था को दिया गया
- ये कुल अनुदान का 86.4 प्रतिशत है.
- वर्ष 2012-13, 2013-14 तथा 2014-15 में जीव आश्रय संस्था को क्रमशः 50 लाख,1.25 करोड़ और 1.41 करोड़ दिया गया.
- वित्तीय वर्ष 2015-16 में जीव आश्रय को 2.58 करोड़ दिया गया.
- श्रीपाद बाबा गोशाला, वृन्दावन को 41 लाख का अनुदान मिला.
- जबकि 2016-17 में 3.45 करोड़ के कुल अनुदान में 2.55 करोड़ अकेले जीव आश्रय को मिला.
- वहीँ अन्य 04 संस्थाओं में सर्वाधिक 63 लाख रुपये श्रीपाद गोशाला को मिला.
- वित्तीय वर्ष 2017-18 में अब तक 1.05 करोड़ का अनुदान दिया जा चुका है.
- इसमें जीव आश्रय शामिल नहीं है.
- इसमें सर्वाधिक 63 लाख का अनुदान दयोदय गोशाला, ललितपुर को मिला है.
- नूतन ठाकुर का कहना है कि जिस प्रकार एक ही NGO को ग्रांट दिया गया वो परिवारवाद की झलक है.
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