गंगा की दुर्दशा से आहत एवं सभी सहायक नदियों की अविरलता और निर्मलता सुनिश्चित करवाने, नदियों में हो रहे औधोगिक/नगरीय प्रदूषण को रोकने, हिमालय क्षेत्र में संचालित एवं प्रस्तावित सभी बाँध परियोजनाओं पर पूरी तरह रोक साथ ही हिमालय क्षेत्र में वन कटान और पत्थर खनन पर पूरी तरह से रोक की मांगों को लेकर आईआईटी कानपुर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, प्रसिद्ध पर्यावरण विज्ञानी 90 वर्षीय स्वामीज्ञान स्वरुप सानंद उर्फ़ जी.डी. अग्रवाल बनारस के अस्सी घाट पर पिछले 14 दिनों से आमरण अनशन कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद की मांगों को जायज बताते हुए उनको समर्थन देने की बात कही है।
मोदी सरकार ने गंगा की सफाई के नाम पर सिर्फ कागजों पर खर्च किया हजारों करोड़
आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी, सांसद संजय सिंह ने कहा कि पार्टी की ओर से स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद की गंगा की सफाई सहित सभी मांगों का समर्थन करते हैं क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री ने कहा था कि मै आया नहीं हूँ, मुझे माँ गंगा ने बुलाया है। चुनाव जीतने और प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने माँ का नाम लेना ही बंद कर दिया है। गंगा की सफाई के नाम पर केंद्र सरकार ने सिर्फ कागजों पर हजारों करोड़ रुपया खर्च किया, वास्तविक रूप से कोई काम नहीं किया गया, जिसकी वजह से गंगा की दुर्गति हो रही है। भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है, चुनाव के समय भाजपा ने जितने वादे किये थे उनमें से किसी पर भी काम सही तरीके से नहीं हुआ है।
संजय सिंह ने कहा कि अविरलता सुनिश्चित करने के लिए बाँध और बैराजों को लेकर गंगा के अनुकूल नीतिगत निर्णय जरुरी है। छोटी नदियों के पुनर्जीवन पर भी कोई ठोस काम नहीं दिखाई दे रहा है। स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद की मांगों पर केंद्र सरकार को तत्काल उचित कार्यवाही करनी चाहिये।
पूर्वांचल प्रांत के अध्यक्ष संजीव सिंह ने कहा कि स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद हमेशा गंगा की सफाई के मुद्दे को उठाते रहे हैं और पिछले 14 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं, उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट हो रही है। गंगा के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा सरकार ने इस मुद्दे से अपने आपको कतई अलग कर लिया है इसीलिये बुधवार को अस्सी घाट से कुछ दूरी पर पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के मुखिया योगी ने भूखे-प्यासे गंगा की अविरलता और निर्मलता की मांग करने वाले स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद से बातचीत करना भी उचित नहीं समझा।