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प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में प्रदेश के विकास के लिए एडीबी की बैठक

एडीबी में प्रदेश में सरकार की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए 19 जनपदों में 11 सेक्टर्स में 6 जोनों में रोजगार सृजन की संभावनाओं को चिन्हित किया गया है. इन 6 जोनों में पश्चिमी क्षेत्र, दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र, सेन्ट्रल क्षेत्र. उत्तरीय क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र और बुन्देलखण्ड क्षेत्र शामिल हैं.

कई क्षेत्रों में होगा सुधार:

इन निर्धारित किये गये जनपदों के अवस्थापना विकास के लिए परिवहन कनेक्टिविटी, उद्योगों की स्थापना, प्रशिक्षित श्रमिक उपलब्ध कराते हुए औद्योगिक विकास करना, अवस्थापना सुविधाओं में सुधार हेतु बिजली आपूर्ति की दरो, लास्ट माइल कनेक्टिीविटी एवं पेयजल की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
एडीबी के डिप्टी कण्ट्री डायरेक्टर ने बताया कि पूर्व में आहूत बैठक में मुख्य सचिव ने प्रदत्त निर्देशों के क्रम में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिय इण्डस्ट्रियल पार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर, अर्बन, पावर, लाॅजिस्टिक, रोड, रेलवे एवं एयरपोर्ट क्षेत्रों को 06 जोन यथा बुन्देलखण्ड जोन, सेन्ट्रल जोन, ईस्टर्न जोन, नादर्न जोन, साउथ वेस्टर्न जोन, वेस्टर्न जोन के तहत चिन्ह्ति करते हुए लगभग 150000 करोड़ रूपये का एक विस्तृत इन्फ्रास्ट्राक्चर इन्वेस्टमेंट प्लान चिन्हित किया है. जिसके अन्तर्गत इन 6 जोनों में लगभग 242 मल्टी सेक्टोरल परियोजनाएं चिन्हित की गयी हैं।
ADB Chief Secretary meeting for state development
वहीं एडीबी ने तैयार ड्राॅफ्ट रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश के विकास के लिए सुझाव भी दिये गये.

एडीबी के सुझाव:

-क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करने के लिए जनसंख्या एवं मैनुफैक्चरिंग जीएसडीपी कन्ट्रीब्यूशन को ध्यान में रखा जाय।
-वर्तमान में आर्गनाइज्ड एवं हाई वैल्यू एडेड जाब्स को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके लिए 19 जनपदों को फॉक्स करे.
-इनमे जीबी नगर, गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, फिरोजाबाद, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, सोनभद्र, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, अमरोहा, बिजनौर, मुरादाबाद, झांसी एवं चित्रकूट जनपद शामिल हैं.
-6 मुख्य इम्प्लाईमेंट जोन्स जैसे बुन्देलखण्ड जोन, सेन्ट्रल जोन, ईस्टर्न जोन, नादर्न जोन, साउथ वेस्टर्न जोन, वेस्टर्न जोन में बांटते करते हुए फूड प्रोसेसिंग एवं बिवेजरेस, लेदर एवं सम्बन्धित उत्पाद, बेसिक मिटेल्स एवं फैब्रिकेटेड मिटेल उत्पाद, कैमिकल्स, इलेक्ट्राॅनिक्स, परिधान, आॅटोमोबाइल कम्पोनेंट्स तथा शीशे के उत्पादों के रूप में 08 मुख्य आर्गनाइज्ड सेक्टर्स की पहचान की गयी है।
-इसी कड़ी में लेदर एवं सम्बन्धित उत्पादों के निर्माण और आयात-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक रूप से इण्डस्ट्रियल क्लस्टर बनाने, काॅमन इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं प्रदान करने, सीईटीपी और ब्रांडिंग सपोर्ट की आवश्यकता पर ध्यान केन्द्रित किया जाय.
-इलेक्ट्राॅनिक्स सेक्टर के अन्तर्गत इलेक्ट्राॅनिक्स कम्पोनेंट के उत्पादन में उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका है।
-अन्य प्रदेशों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश में 27 प्रतिशत इलेक्ट्राॅनिक्स का उत्पादन होता है जिसमें इण्ड टू इण्ड इकोसिस्टम का विकास करते हुए इस प्रतिशत को 41 प्रतिशत तक किया जा सकता है।
-दुग्ध उत्पादन के विषय में उत्तर प्रदेश अग्रणी स्थान रखता है लेकिन असंगठित क्षेत्र होने के कारण उत्तर प्रदेश में कुल दुग्ध उत्पादन प्रतिशत का मात्र 30 प्रतिशत दुग्ध ही आर्गनाइज्ड तरीके से प्राप्त हो पाता है। अतः दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। इसके लिए मध्यम श्रेणी की डेयरियां विकसित की जानी चाहिए।
-एमएसएमई सेक्टर के अन्तर्गत एक समर्पित एमएसएमई डेवलपमेंट सेल का विकास किया जाना चाहिए जो कि एमएसएमई के विकास एवं क्लस्टरों के प्रबन्धन के लिए मुख्य भूमिका निभायेगी।

उत्तर प्रदेश में सड़कों के विकास:

एडीबी के डिप्टी कण्ट्री डायरेक्टर द्वारा अवगत कराया गया कि मल्टी सेक्टोरल इन्वेस्टमेंट को दृष्टिगत रखते हुए उत्तर प्रदेश में सड़कों के विकास हेतु लगभग 50, नगरीय क्षेत्रों के लिए 14, रेलवे हेतु 14, एयरपोर्ट हेतु 11, लाॅजिस्टिक हेतु 7 और इण्डस्ट्रियल पार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर हेतु 2 और पावर के क्षेत्र में 1ः की वृद्धि अपेक्षित है.
जिसके लिए लगभग रूपये 150000 करोड़ की धनराशि का एक विस्तृत इन्फ्रास्ट्राक्चर इन्वेस्टमेंट प्लान चिन्हित किया गया है जिसके अन्तर्गत चिन्हित 06 जोनों में लगभग 242 मल्टी सेक्टोरल परियोजनाओं पर कार्य किया जाना है।
एडीबी के डिप्टी कन्ट्री डायरेक्टर द्वारा यूपी इन्फ्रास्ट्रक्चर फ्रेमवर्क प्लान के परिणाम को मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसमें अवगत कराया गया कि संबंधित विभागों से प्राप्त आकड़ों तथा कतिपय उद्योगों से प्राप्त परामर्श के आधार पर आधारभूत संरचनाओं को प्रभावित करने वाली बाधाओं को चिन्हित किया गया है।
इसके लिए प्रदेश में अवस्थापना संरचना की जरूरतों को चिन्हित करने के लिये अब तक कुल 177 राय ली हैं. जिसके आधार पर चिन्हित बाधाओं को दूर करने के लिये सुझाव के संबंध में एडीबी ने तैयार ड्राफ्ट रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

एडीबी के कन्ट्री डायरेक्टर सहित कई अधिकारियों ने की सहभागिता:

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आहूत उक्त बैठक का समन्वय अपर मुख्य सचिव, नियोजन विभाग द्वारा किया गया। बैठक में एडीबी के कन्ट्री डायरेक्टर ने अपनी टीम जिनमे सब्यसाची मित्रा, डिप्टी कन्ट्री डायरेक्टर, अशोक श्रीवास्तव, सीनियर प्रोजेक्ट आॅफिसर (अर्बन), कनुप्रिया गुप्ता, प्रोजेक्ट आॅफिसर (इकोनाॅमिक्स एण्ड स्किल्स), अतुल संगनेरिया इकोनाॅमिस्ट, मिताली निकोर इकोनाॅमिस्ट, मोहम्मद अतहर, सुजाॅय शेट्टी और रोहन शाह के साथ प्रतिभाग किया गया गया।
इस बैठक में नियोजन विभाग, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन, लोक निर्माण, ऊर्जा, सिंचाई एवं जल संसाधन, आवास एवं शहरी नियोजन, परिवहन, आई.टी. एवं इलेक्ट्रानिक्स, वित्त, सहकारिता, वाह्य सहायतित परियोजना, खाद्य एवं रसद एवं उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण आदि प्रशासकीय विभागों के अपर मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ विभागीय अधिकारियो द्वारा प्रतिभाग किया गया।

रोजगार में वृद्धि:

उत्तर प्रदेश के सतत विकास ले लिए आज दिनांक 21 जून, 2018 को एशियन डेवलपमेंट बैंक के कण्ट्री डायरेक्टर केनेची योकोयामा ने मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन के समक्ष उत्तर प्रदेश के विकास हेतु विभिन्न बिन्दुओं यथा-प्रतिस्पर्धात्मक वृद्धि करते हुए संभावित रोजगार क्षेत्रों को चिन्हित करने, मुख्य बाजारों एवं मुख्य मार्गों से फ्रेट विलेजे़स को जोड़ने, रोजगार संभावनाओं में वृद्धि करने, क्षेत्रीय असंतुलन को चिन्हित करने, सीखनें की कमी को कम करने हेतु कौशल सक्षम माहौल का सृजन करने, अवस्थापना संरचना के अन्तर एवं क्रियान्वयन योग्य परियोजनाओं को चिन्हित करते हुये विकास मे आ रही बाधाओं को खत्म करने के मुख्य उद्देश्यों के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लान फाॅर सपोर्टिंग विशेष ग्रोथ के अन्तर्गत प्रस्तुतिकरण किया गया।

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