उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के दौरान कई विधायकों के क्रॉस वोटिंग की खबर आई है। क्रॉस वोटिंग करने में बुलंदशहर के डिबाई विधानसभा क्षेत्र के सपा विधायक भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित और उनके भाई शिकारपुर विधानसभा सीट से मुकेश पंडित ने पार्टी के खिलाफ वोट डाला है।

पंडित बंधु कई महीनों से समाजवादी पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज थे और ऐसा माना जा रहा है कि दोनो विधायक भाई जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

समाजवादी पार्टी के टिकट से बुलंदशहर के दिग्गज नेताओं को सियासी रण में धूल चटाने वाले गुड्डू और मुकेश पंडित पिछले एक साल से पार्टी में अपनी उपेक्षा से खासे नाराज थे। संगठन से लेकर हाईकमान तक ने उनकी अनदेखी की और पश्चिमी उत्तर-प्रदेश में ब्राह्मण कुनबे के अकेले समाजवादी विधायक होने के बाबजूद पार्टी हाईकमान ने उनकी कद्र नही की।

2007 विधानसभा में बसपा के टिकट पर राजनीति की शुरूआत करने वाले गुड्डू ने बीजेपी के दिग्गज कल्याण सिंह के गढ़ में पहली बार उनकी पुत्रवधू को शिकस्त दी।

बसपा कार्यकाल में उन्होने अपनी सियासी जड़े और मजबूत की। हांलाकि मायावती ने उन्हें एक मामले में जेल तक भिजवा दिया। पंचायत चुनाव में एक जाट अधिकारी के इशारे पर उनके खिलाफ फिर से पुलिस कार्रवाई हुई और उन्हें भाईयों समेत दोबारा जेल जाना पड़ा। लेकिन गुड्डू का वर्चस्व क्षेत्र में कायम रहा।

सपा के टिकट से गुड्डू ने फिर एक बार कल्याण सिंह के पुत्र राजू भैया को चुनाव में शिकस्त दी और विधायक बने। लेकिन इतनी बड़ी जीत होने के बाबजूद भी अखिलेश सरकार ने गुड्डू की अनदेखी की। ब्राह्मण कुनबे से अकेले विधायक बंधुओं को न तो संगठन में कोई पद मिला और न सरकार में।

लोकसभा चुनाव में सपा ने साल भर पहले गुड्डू की पत्नी काजल को अलीगढ़ से टिकट दिया। गुड्डू ने जब वहाँ सियासी जमीन पुख्ता कर ली तो सपा ने टिकट काटकर गुप्त समझौते के बाद गुड्डू को मैदान छोड़ने के लिए मजबूर किया।

नोयडा की विधानसभा सीट के उप-चुनाव में सपा ने एक महीने पहले ही गुड्डू की पत्नी के लिए टिकट की घोषणा की। बिना तैयारी के लड़ा गया चुनाव गुड्डू की पत्नी हार गयी। इस प्रकार से गुड्डू से पार्टी भी पीछा छुड़ाती दिख रही थी और इन्ही कारणों से गुड्डू भी सपा से दुरी बनाने लगे थे।

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