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जिस तरह से सदियों पहले त्रेता युग (lord ram named stone) में लंका पर चढ़ाई के दौरान भगवान श्रीराम की वानर सेना द्वारा बनाए गए रामसेतु पुल के निर्माण के लिए नल और नील ने राम का नाम लिखे पत्थर जब समुद्र में डाले थे तो वे तैरने लगे थे।
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पुराणों में तो पढ़ने को मिलती हैं ऐसी बातें
- ऐसी बातें पुराणों में तो पढ़ने को मिलती हैं, लेकिन जब हकीकत में ऐसा हो तो उसे चमत्कार कहेंगे या कुछ और?
- दरअसल आगरा जिले में यमुना नदी के कैलाश घाट पर भी ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला।
- यहां के लोगों ने एक श्रीराम का नाम लिखा पत्थर जब नदी में तैरते देखा तो वे अचंभित हो गए।
- उन्होंने पत्थर को उठाकर फिर नदी की गहराई में डुबोया लेकिन पत्थर तैरता रहा।
- ये सुनकर आसपास के लोग भी इकट्ठे हो गए।
- लोगों का कहना है कि कलयुग में भी भगवान राम का नाम लिखे पत्थर तैर रहे हैं।
- ये किसी चमत्कार से कम नहीं है अब ये पत्थर क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
- लेकिन इसकी हकीकत क्या है ये किसी को नहीं पता चल पा रहा है।
क्या है मान्यता?
- हिन्दू धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार रामसेतु ऐसा पुल है, जिसे भगवान विष्णु के सातवें एवं हिन्दू धर्म में विष्णु के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रहे अवतार श्रीराम की वानर सेना द्वारा भारत के दक्षिणी भाग रामेश्वरम पर बनाया गया था।
- धार्मिक मान्यता अनुसार जब असुर सम्राट रावण माता सीता का हरण कर उन्हें अपने साथ लंका ले गया था, तब श्रीराम ने वानरों की सहायता से समुद्र के बीचो-बीच एक पुल का निर्माण किया था।
- यही आगे चलकर रामसेतु कहलाया था।
- जिसका दूसरा किनारा वास्तव में श्रीलंका के मन्नार तक जाकर जुड़ता है।
- इस पुल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘एडेम्स ब्रिज’ के नाम से जाना जाता है।
- पुराणों के अनुसार, यह विशाल पुल वानर सेना द्वारा केवल 5 दिनों में ही 30 किलोमीटर लम्बा और 3 किलोमीटर चौड़ाई (lord ram named stone) तैयार कर लिया गया था।
https://youtu.be/C2aEH7IQKuw
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