उत्तर प्रदेश के मुख्मंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गोकुल पुरुस्कार वितरण समारोह में देश के सर्वाधिक दुग्ध उद्पादन करने वाले दुग्ध उत्पादक सदस्यों को सम्मानित एवं फोर्टीफाइड “पराग” दूध का शुभारम्भ किया. प्रदेश के समस्त जनपदों में सहकारिता से जुड़े दुग्ध उत्पादकों में से प्रत्येक जनपद के सर्वाधिक स्वच्छ, उच्चगुद्वत्ता युक्त दुग्ध उत्पादन कर रहे सदस्य दुग्ध उत्पादकों को वर्ष 2001-02 से गोकुल पुरुस्कार से सम्मानित किया जाता रहा है.
इस वर्ष मुख्मंत्री ने दिया गोकुल पुरुस्कार:
वर्ष 2017-18 का गोकुल पुरुस्कार मुख्यमंत्री योगी द्वारा इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान, गोमतीनगर, लखनऊ में आवंटित किया गया. इस समारोह में पी०सी०डी०एफ० के गुद्वत्ता आश्वासन अनुभाग द्वारा सोयाबीन पाउडर के अपमिश्रण की त्वरित जांच हेतु विकसित की गयी टेस्टिंग स्ट्रिप का विमोचन एवं पी०सी०डी०एफ०द्वारा जनता के अच्छे स्वास्थ्य हेतु विकसित फोर्टीफाइड पराग दूध का शुभारम्भ किया गया.
पुरुस्कार में मिलता है प्रतीक चिन्ह:
प्रत्येक जिले में सर्वाधिक दुग्ध उद्पादन करने वाले एक कृषक को नकद पुरुस्कार के साथ पीतल धातु पर गाय के साथ दूध पीता हुआ बछड़ा व श्री कृष्ण की मूर्ती प्रतीक चिन्ह के रूप म इ प्रदान की जाती है. शुरुआत में यह नकद राशि मात्र 11,000 रूपए थी जो धीरे धीरे बढ़ते हुए अब 2 लाख हो गयी है. द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले को 1.50 लाख और तीसरे को 51,000 रूपए दिए जाते हैं.
इस वर्ष 73 जनपदों के दुग्ध उत्पादकों को गोकुल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया, जिसमें 17 महिलाये भी पुरुस्कृत की गयीं.
इस मौके पर की कम ने बातचीत:
पुरुस्कार वितरण के बाद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अपना भाषण दिया. उन्होंने कहा की, “दुग्ध उत्पादन के लिए काम हुआ. यूपी दुग्ध उत्पादन के लिए जाना जाता है, यूपी दुग्ध उत्पादन में सबसे आगे है.”
CM ने आगे कहा की, “बेहतर परिणाम के लिए एक प्रयास जारी है. पीएम ने हमारे सामने एक लक्ष्य रखा है. 2022 तक किसानों की आय दोगुना करेंगे.”
उन्होंने कहा की,”दुग्ध समितियों की संख्या यूपी में कम हैं, केवल 6735 दूध समितियां कार्यरत हैं. प्रदेश में कम से कम 60 हजार दुग्ध समितियां होनी चाहिए”
मुख्यंत्री ने कहा की वो किसानो को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं और किसानों के चेहरे पर खुशहाली लाना चाहते हैं.
सीएम ने कहा की, “यूपी दूध के लिए बहुत बड़ा मार्केट है, क्योंकि हर व्यक्ति शुद्ध दूध पीना चाहता है. यूपी में संसाधन और सम्भावनाएं हैं, डेरी क्षेत्र में व्यापक सम्भावनाएं हैं. हमे बस सम्भावनाओं को विकसित करना है. इसके लिए यूपी में डेरी उद्योग को बढ़ाना होगा.”