बीते समय से समाजवादी परिवार में चल रही कलह ने अब एक बड़ा रूप ले लिए है। बता दें कि सत्ताधीन समाजवादी पार्टी अब दो टुकड़ों में बाँट गई है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कल शाम अपने आवास में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामगोपाल यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्काषित करने का ऐलान कर दिया है। सपा सुप्रीमों के इस ऐलान के बाद उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में एक भूचाल आ गया है। बता दें कि अब अखिलेश यादव के पास ये विकल्प ही बाकी हैं।
पार्टी से निष्काषित अखिलेश के पास बचे हैं ये रास्ते
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कल समाजवादी पार्टी से निष्काषित कर दिया गया है।
- जिसके बाद अखिलेश यादव के सामने अब ये रास्ते बचे हैं।
- पहला रास्ता तो ये की अखिलेश पार्टी पर अपनी दावेदारी का दावा करते हुए उस पर अपना कब्ज़ा करें साथ ही पार्टी चुनाव चिन्ह पर भी कब्ज़ा करें।
- दूसरा रास्ता ये की पार्टी में शुरू इस झगड़े को वो और ज्यादा बढ़ाएं।
- जिससे पार्टी चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ को चुनाव आयोग में ज़ब्त कराया जा सके।
- तीसरा रास्ते ये हो सकता है कि प्रोग्रेसिव समाजवादी पार्टी के नाम से साइकिल की प्रगति के साथ मोटर साइकिल को चुनाव चिन्ह पाने की कोशिश की जाए।
- लेकिन अगर ये संभव न हो पाये तो चंद्रशेखर की सपा को ज़िंदा किया जाए।
- बता दें की पूर्व पीएम के बेटे सपा के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर अखिलेश यादव के साथ हैं।
- इस पार्टी और इसके चुनाव चिन्ह ‘पेड़’ को अखिलेश ले सकते हैं।
- एक अन्य विकल्प के तौर पर लोकदल पश्चिमी यूपी और उनके चुनाव चिन्ह के साथ भी अखिलेश उतर सकते हैं, लोकदल पश्चिमी यूपी का चुनाव चिन्ह हलधर किसान है।
- बात दें की ये पार्टी चौधरी चरण सिंह के बेटे सुरेंद्र सिंह चला रहे हैं जिन्होंने इस मामले में अखिलेश से संपर्क भी किया है।
- अंतिम विकल्प के रूप में चुनाव चिन्ह ट्रैक्टर जो एक पार्टी के नाम पर रजिस्टर्ड है के साथ भी अखिलेश आ सकते हैं।
- बता दें कि अखिलेश खेमा इस पर विचार भी कर रहा है।
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