[nextpage title=”akhilesh” ]
अखिलेश सरकार अपने विकास और काम की कितनी भी गाथाएं क्यों न गा रही हो, लेकिन उसकी असलियत आकड़ों में कुछ और ही है। सपा सरकार में दंगों से लेकर भ्रष्टाचार चरम पर रहा। सपा सरकार के मंत्रियों पर बीत साढ़े चार सालों में कई संगीन आरोप लगें। सपा सरकार के कार्यकाल में हुए सबसे बड़े 10 मुद्दों को लेकर हम आपके सामने रख रहे हैं। इसके आधार पर सपा के काम या कांड का अंदाजा लगाया जा सकता है।
1. मुजफ्फरनगर दंगा
अखिलेश यादव के सीएम बनने के करीब एक साल बाद उत्तर प्रदेश को उनकी सरकार की नाकामी के रूप में अब तक के सबसे बड़े दंगों में से एक का सामना करना पड़ा था। जो कि मुजफ्फरनगर दंगा था। अगस्त 2013 में इस दंगे में 62 लोगों को की जाने गई। वहीं सैकड़ो लोग घायल हुए। अखिलेश सरकार ने इस दंगें के दौरान इस कदर लापरवाही बरती कि सुप्रीम कोर्ट को इसमें हस्ताक्षेप करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने इस दंगें को लेकर अखिलेश सरकार पर सवाल भी खड़े किए। साथ ही आरोपियों को गिरफ्तार करने के आदेश दिए। तब जाकर दंगों में शामिल 1000 दोषियों को गिरफ्तार किया गया था। इस दंगे के कारण स्थिति यह बन गई थी कि 50,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों की ओर रूख करना पड़ा था। मामला शांत होने के बाद भी वह अपनों घरों को लौटने के लिए तैयार नहीं थे। जानकारी के अनुसार अखिलेश सरकार में 2012 में 227 दंगे, 2013 में 247 दंगे, 2014 में 242 दंगे, 2015 में 2019 दंगे और 2016 में 100 से ज्यादा दंगे हुए। इन आकड़ों में छोटी-बड़े सभी तरह के दंगे और हिंसक बवाल के मामले शामिल हैं।
2. मथुरा के जवाहरबाग पर रामवृक्ष का कब्जा और पुलिस वालों की मौत
मथुरा में जवाहरबाग की 280 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को खाली करने गई पुलिस टीम पर बमबारी और गोलियों की बौछार और एक एसपी सहित एसएचओ की मौत अखिलेश सरकार की दूसरी सबसे बड़ी लापरवाही के रूप में सामने आई। सावर्जनिक जवाहरबाग की 280 एकड़ जमीन पर रामवृक्ष यादव और उसके साथियों ने अवैध रूप से 2014 में कब्जा कर लिया था।
कहा जाता है कि सरकार से जुड़े कई नेताओं का रामवृक्ष को संरक्षण मिला हुआ था। इसी के चलते कोई उस पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं कर सकता था। लेकिन कब्जे को लेकर कई याचिकाएं कोर्ट में पहुंची। इसके बाद सरकार को इस मामले पर संज्ञान लेना ही पड़ा। इस अवैध कब्जे को खाली कराने के लिए पुलिस फोर्स बाग पर पहुंची। उससे पहले ही यहां रह रहे कब्जाधारियों ने पुलिस पर गोलाबारूद और गोलियों की बौछार कर दी। इस मुदभेड़ में जान गवानी पड़ी। साथ ही कई पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हुए। सवाल ये खड़ा हुआ कि सरकार ने ये कब्जा होने क्यों दिया और कब्जाधारियों के पास इतनी भारी मात्रा में हथियार कहां से आएँ, जिससे रामवृक्ष यादव की ताकत इतनी बढ़ गई।
3. बदायूं में नाबालिग बहनों की कथित तौर पर रेप के बाद हत्या
उत्तरप्रदेश के बदायूं जिले के कटरा सादतगंज गांव में 27 मई 2014 को दो नाबालिग बहनों की कथित रूप से रेप के बाद हत्या कर उनके शव को पेड़ से लटका दिया गया। बताया जाता है कि दोनों नाबालिग खेत में शौंच के लिए गई थी। लेकिन गांव वालों को उनकी लाश एक पेड़ पर लटकती हुई मिली। कथित रूप से इन दोनों नाबालिग बच्चियों की रेप के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस मामले ने अखिलेश सरकार पर एक बड़ा दाग लगा दिया।
[/nextpage]
[nextpage title=”akhilesh2″ ]
4. बुलंदशहर गैंगरेप
बदायूं में नाबालिग बहनों के मामले की आंच अभी ठंडी नहीं हुई थी कि अखिलेश सरकार के कानून व्यवस्था के दावो की पोल खोलने वाली एक और बेहद शर्मनाक वारदात यूपी में हुई। 29 जुलाई 2016 की रात एक परिवार नोएडा से बुलंदशहर रिश्तेदार की तेरहवीं में जा रहा था। इस कार में 3 महिलाएं भी थी, जिसमें एक नाबालिग लड़की भी शामिल थी। इस कार को एनएच-91 के पास हथियारबंद बदमाशों ने रोक लिया। इसके बाद कार में सवार मां और उसकी नाबालिक बेटी से बदमाशों ने घंटों तक सामूहिक बलात्कार किया। इस घटना से यूपी ही नहीं पूरा देश हिल गया था। इस घटना के बाद अखिलेश सरकार के महिला सुरक्षा के दावों की धज्जियां उड़ गई और जो बचा था उनके मंत्रियों ने अपने शर्मनाक बयान देकर पूरा कर दिया।
5. दादारी हत्याकांड
अखिलेश सरकार की कानून व्यवस्था की पोल खोलने वाला दादरी हत्याकांड एक परिवार के लिए ही नहीं प्रदेश की जनता के लिए बेहद पीड़ा दायक था। 28 सिंतबर 2015 की रात दादरी के बिसाहड़ा गाँव में अखलाक और उनके परिवार पर एक भीड़ का कहर टूट पड़ा। इस भीड़ ने बेरहमी से पूरे परिवार को घर से बाहर निकाल कर पीटा। इसमें अखलाक की जान चली गई और उनके बेटे दानिश को बेहद गंभीर चोटें आई। इस भीड़ का आरोप था कि अखलाक का परिवार गोमांस खा रहा था। जिसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है। कुछ लोगों ने महज धर्म के नाम पर एक परिवार उजाड़ दिया और कानून व्यवस्था मूक दर्शक बनी रह गई।
6. पत्रकार गजेंद्र सिंह हत्याकांड
सपा सरकार में पिछले साढ़े चार सालों में कई मंत्रियों पर गंभीर आरोप लगे। इसमें से एक शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाने का आरोप भी शामिल है। 1 जुन 2015 को शाहजहांपुर में कथित रुप से जगेंद्र सिंह पर पेट्रोल डालकर उनकी आग लगाकर हत्या कर दी गई थी। इसका आरोप सपा सरकार में मंत्री राममूर्ति वर्मा पर लगाया गया। गजेंद्र उस महिला के लिए लड़ रहे थे, जिसने मंत्री और उसके साथियों पर बलात्कार का आरोप लगाया था। लेकिन अपने मंत्री पर इतना बड़ा आरोप लगने की बात जैसे सीएम साहब को सुनाई ही नहीं पड़ी थी।
[/nextpage]
[nextpage title=”akhilesh3″ ]
7. IPS अमिताभ ठाकुर का मामला
अखिलेश सरकार में ऐसे नहीं कि सिर्फ आम जन पर ही कहर बरपा हो, इस लिस्ट में कई आईपीएस और अधिकारियों के नाम भी शामिल है। अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के करीबी गायत्री प्रजापति के खिलाफ मिली शिकायत पर अमिताभ ठाकुर कार्रवाई कर रहे थे। इस मामले को लेकर कथित रूप से मुलायम सिंह ने खुद अमिताभ ठाकुर को फोन कर धमकी दी थी। आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने उनका एक ऑडियो भी सार्वजनिक किया था, जिसमें उनसे कहा जा रहा था, मान जाओ नहीं जैसे पहले पीटे गये थे, वैसे ही पीटे जाओगे। इसके बाद अमिताभ ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। फिर क्या था इस सरकार के करीबी उनके पीछे पड़ गए। यहां तक उनके खिलाफ शिकायत भी हुई। नतीजा ये हुआ नेता वहीं हैं, लेकिन IPS अमिताभ ठाकुर साल 2015 से सस्पेंड हैं।
8. यादव सिंह के भ्रष्टाचार में साथ
नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह ने बसपा और वर्तमान सपा सरकार के साथ कथित रूप से मिलकर 1,000 करोड़ रूपये की संपत्ति खड़ी कर ली। इसके चलते सपा सरकार भी यादव सिंह को हाथ नहीं लगा रही थी। मामला बढ़ने पर यादव सिंह को किसी तरह सस्पेंड करने की जहमत उठाई गई। लेकिन मामले को सुल्टाने के लिए वन-मैन जुडिसियल इंक्वायरी बैठाई गई ताकि मामले को सेट किया जा सके। लेकिन बाद में किसी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले को सीबीआई को देने की मांग की। अखिलेश यादर ने इसका काफी विरोध किया, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला सीबीआई के पास चला गया।
9. दुर्गा शक्ति नागपाल
उत्तर प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का दावा कितना ही किया गया हो। लेकिन इस सपने को साकार बनाने की कोशिश करने वाले चंद लोगों को रोका जरूर गया है। दुर्गा शक्ति नागपाल को गौतमबुद्धनगर का एसडीएम नियुक्त किया गया था। उन्होंने वहां खनन माफियाओं के खिलाफ जंग छेड़ दी। जो भ्रष्टाचारियों को पंसद नहीं आया, फिर होना क्या था, नागपाल को जुलाई 2014 में एक मजिस्द की दीवार गिराने का आरोप के साथ सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि की किसी तरह लंबी सुनावई के बाद 2016 में उनकी बहाली हुई।
10. अपने ही पिता और चाचा की अंदेखी
समाजवादी पार्टी में हाल में ही सत्ता और कुर्सी पाने के लिए एक लंबी जंग लड़ी गई। इस जंग के बड़े चेहरे मुलायम सिंह, शिवपाल यादव, अखिलेश यादव और प्रो. रामगोपाल यादव थे। इनकी बीच साइकिल को लेकर खुब नौटंकी हुई। प्रदेश की जनता भी समझ नहीं पा रही थी आखिर सपा में चल क्या रहा है। फिर फैसला आया अखिलेश यादव का उन्होंने ने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन करने वाले अपने पिता मुलायम सिंह और चाचा शिवपाल यादव से साइकिल छीन ली। चुनाव आयोग ने भी अखिलेश यादव को साइकिल पर सवारी करने का हक दे दिया। लेकिन इस दौरान मुलायम सिंह और शिवपाल यादव कहीं पीछे छूट गए।
[/nextpage]