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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जब सीएम बने थे तो वे एक रिकॉर्ड बनाते हुए यूपी के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने थे। वे हमेश से एक आज्ञाकारी बेटे और एक अच्छे वक्ता और नेता के तौर पर जाने जाते है। चाहे कोई इंटरव्यू हो या सार्वजनिक मंच, अखिलेश यादव ने हमेशा अपने पिता मुलायम सिंह यादव का सम्मान किया है। अखिलेश हमेशा कहते है कि वे जो है, नेताजी की वजह से है। सपा सुप्रीमो पार्टी प्रमुख होने के साथ ही उनके पिता भी है और वे हमेशा अपने पिटा का साथ देंगे चाहे उनके सामने कोई भी परिस्थिति क्यों ना हो।
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एक आज्ञाकारी और आदर्श बेटा :
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हमेशा से ही अपने पिता की बहुत इज्जत करते है।
- वे हमेशा उनका धन्यवाद देते है कि चुनाव जीतने पर सपा प्रमुख ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया।
- दिसंबर, 1999 में अखिलेश यादव शादी बाद अपनी पत्नी संग घूमने गए थे।
- उस दौरान अखिलेश यादव की राजनीती में बिलकुल भी रूची नहीं थी और वे इससे दूर ही रहना चाहते थे।
- मगर पिता मुलायम सिंह का उन्हें फ़ोन आया कि तुम वापस आ जाओ, कन्नौज से तुम्हे चुनाव लड़ना है।
- अखिलेश यादव ने तुरंत अपनी छुट्टियां रद्द कर लखनऊ आ गए थे।
- उन्होंने कन्नौज लोकसभा से चुनाव लड़ा और 27 की उम्र में सांसद बन गए।
- उन्होंने कभी भी अपने पिता मुलायम के किसी भी फैसले का विरोश नहीं किया।
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एक वक्ता के तौर पर अखिलेश यादव :
- अखिलेश यादव अपने स्कूल के समय से ही अच्छे विद्यार्थी और वक्ता रहे है।
- साल 2000 में उनके स्कूल में एक बार पिता मुलायम सिंह और जनेश्वर मिश्र आये हुए थे।
- उन्होंने अखिलेश यादव को मच पर आने को कहा मगर अखिलेश ने नीचे ही युवाओं के साथ बैठने पर जोर दिया।
- यह था समाजवादी पार्टी का सबसे युवा नेता जो युवा वर्ग का नेता था।
- प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का सुझाव मुलायम सिंह को अखिलेश ने ही दिया था।
- इसी कारण 2003 चुनाव में मुलायम की जीत भी हुई और उन्होंने सीएम बनने पर अपना वादा भी पूरा किया।
- जिन्होंने रोजगार कार्यालय में पंजीकरण कराया था, उन्हें सरकार द्वारा 500 रूपये महीना भत्ता मिलने लगा।
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सबसे अलग छवि :
- मुलायम सिंह को भी समझ आ गया था कि युवाओ के बीच अखिलेश की अच्छी छवि बन गयी है।
- इसी को देखते हुए उन्होंने सपा प्रदेश अध्यक्ष से शिवपाल को हटाकर अखिलेश यादव को बना दिया।
- प्रदेश अध्यक्ष बनते ही अखिलेश यादव ने प्रत्याशियों को टिकट देने में बदलाव कर दिया।
- अखिलेश इसके बाद से ही युवाओं में और अधिक प्रसिद्ध होने लगे और उन्हें युवाओं का साथ मिलने लगा।
दिन-रात किया पार्टी का प्रचार :
- अखिलेश यादव की युवाओं मे लगातार बढ़ रही लोकप्रियता को देखते हुए 2012 चुनावों में युवाओ को सपा से जोड़ने का काम उन्हें दिया गया।
- साथ ही चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी भी उन्हें दी गयी।
- अखिलेश ने इस दौरान लगभग 10,000 किमी की यात्रा की और 800 रैलियों को संबोधित भी किया।
- इसका फायदा यह हुआ कि 2012 में प्रचंड बहुमत से समाजवादी पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ।
- युवाओं के सहयोग से सरकार बनने के कारण उनकी मांगो को मानते हुए अखिलेश को सीएम बनाया गया।
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अपराधी मुक्त बनायी पार्टी :
- यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश ने अपनी पार्टी की छवि को बदलने पर लगातार ध्यान दिया।
- मगर 2013 में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद ने सपा में एंट्री की और श्रावस्ती से लोकसभा टिकट भी हासिल कर लिया।
- हालाँकि वह चुनाव हर गया मगर पार्टी में मुलायम के करीब रहने लगा जिससे उसकी पैठ बनी रहे।
- पूर्वांचल के बाहुबली डी पी यादव को पार्टी से निकलवा भी दिया।
- ऐसे ही एक आयोजन में अतीक अहमद ने अखिलेश को मंच पर गले लगाने की कोशिश की।
- मगर अखिलेश ने उसे हाथ दिखाकर दूर रहने को कहा।
- हालांकि राजा भैया को उन्होंने मंत्री बनाया मगर कभी ख़ास विभाग नहीं दिया।
- इसके अलावा राजा भैया पर हत्या का आरोप लगने पर उन्हें बर्खास्त भी कर दिया।
युवाओं का देंगे हर कदम पर साथ :
- अखिलेश यादव ने अपने बचपन से ही युवाओं को समर्थन दिया है।
- वे हमेशा अपनी चुनावी रणनीती भी उनके बीच ही रह कर बनाते है।
- बीते दिनो शिवपाल यादव के अध्यक्ष बनने के बाद युवा नेताओ को पार्टी से निकल दिया गया।
- इसके बाद अखिलेश ने सपा दफ्तर के पीछे ही उनके लिए जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट बनवाया।
- यहाँ पर सभी युवा नेता अखिलेश के साथ चुनाव के लिए आगे की रणनीती बनाते है।
- अखिलेश भी हमेशा कहते है कि मुझे कोई मेरे नाम से नहीं बल्कि काम से जाने, मे यही चाहता हूँ।
- मैं उत्तर प्रदेश को एक नयी बुलंदियों पर पहुंचाना चाहता हूँ।
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