भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव के बयानों को छलनी द्वारा छिद्रान्वेषण बताया। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि भ्रष्ट कानून व्यवस्था, सत्ता संरक्षित अपराध और भ्रष्टाचार की राजनीति का रंग पिछली होली पर जनता ने उतार दिया था। अगली होली चटक केशरिया होगी जो जातिवाद, तुष्टीकरण, अपराध और भ्रष्टाचार की विपक्षी राजनीति को पूरी तरह बदरंग कर देगी। उन्होंने कहा कि छांछ बोले तो बोले छलनी भी बोले जिसमें हजारों छेद है।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि सपा की बुनियाद में जातिवाद, वंशवाद और साम्प्रदायिक तुष्टिकरण है। अखिलेश सरकार में धर्म विशेष और जाति विशेष के लोगों द्वारा कानून को ताक पर रखकर चकनाचूर किया गया प्रदेश का चैनो-अमन, अब तक जनमानस के जहन में है। अखिलेश सरकार में अपराधी बेखौफ थे, अपराध करने के बावजूद भी अपराधियों की गिरेबां तक कानून के हाथ नहीं पहुंचते थे क्यों कि अपराधियों पर सपा सत्ता के हाथ का खुला संरक्षण रहता था। उत्तर प्रदेश में आज योगी सरकार का रसूख ही है कि अपराधी और भ्रष्टाचारी कितना भी ताकतबर क्यों न हो, कानून के दायरे में होता है।
डॉ. पाण्डेय ने कहा कि अखिलेश अपने मुंह मियां मिट्ठु बनकर खुद की पीठ थपथपाने की कला में माहिर है। वह खुद को विकासवादी कह रहे है जब कि उनके राज में किए गए प्रदेश के विनाश के अवशेष अब भी मौजूद है। उनके किए गये गढ्ढो को हम भर रहे है। आज प्रदेश में विकास का पहिया तेजी से धूम रहा है। इन्वेस्टर्स समिट के बाद आने वाले निवेश से प्रदेश विकास के क्षेत्र मं पूरे देश में आदर्श स्थापति करेगा।
उन्होंने कहा कि सैफई के युवराज ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी शहजादे से दोस्ती की थी, दोनों ने खूब दोस्ती के तराने गाए सियासी जमीन पर जनता ने दोनों की दोस्ती को नापसंद क्या किया कि अब अखिलेश जी कह रहे है कि गठबंधन तो चुनाव में होता है। अरे अखिलेश यह गठबंधन नहीं ठगबंधन है जो चुनाव में गलबहियां करता है और चुनाव बाद एक दूसरे के विरोधी हो जाता है।
डॉ. पाण्डेय ने कहा कि लगातार चुनाव में हार से हताश अखिलेश सहित पूरा विपक्ष अपने कार्यकर्ताओं को ढांढस बधाने के लिए ईवीएम राग अलाप रहा है। ईवीएम राग अलापते हुए अखिलेश यादव को याद ही नहीं रहा कि वैलेट से हुए चुनाव में भी भाजपा ने सपा-बसपा और कांग्रेस को करारी शिकस्त ही है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 15 वर्षो से तंत्र के पेंच बहुत ढीले हो चुके थे।
प्रशासनिक कील काटें दुरूस्त कर प्रशासन को अन्त्योदय के कार्य में लगाने के लिए भाजपा सरकार ने मशक्कत की है, परिस्थितियां पहले से दुरूस्त हुई है। सैफई महोत्सव के नाम पर परिवारिक आयोजन कर भौडापन करने वाले सैफई महोत्सव से गोरखपुर महोत्सव की तुलना न करे। गोरखपुर प्रदेश के सांस्कृतिक आध्यात्मिक केन्द्रों में से एक है। गोरखपुर महोत्सव से पूर्वाचंल की सांस्कृतिक विरासत राष्ट्रीय फलक पर पहुंचेगी। प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक उन्नति के पथ पर भाजपा सरकार आगे बढ़ रही है।