अगर हम नयी पीढ़ी को सपने नही दिखा सकते है तो हमारे भारत का भविष्य अच्छा नही हो सकता है
कही बिजली आये न आये पर इस गरीब गांव में बिजली जाती नहीं है औरो के यहाँ बिजली के बिल तो आएंगे पर यहाँ के लोगो को बिजली के बिल नही देने पड़ते है। अभी जब में आ रहा था तो बड़े ट्रांसमीटर लाइन बिछ रही थी, जिन किसानो के खेतो से वो खम्बे लग रहे होंगे, तो पहले तो किसान तैयार नहीं होता है और तैयार इस लिए नही होता है क्योंकि उसे कोई खास मुआवजा नहीं मिलता है। जब बिजले उपर चलते है तो वो डरता रहता है की कब बिजली आयेगी और कब क्या कर देगे बिजली।
- कन्नौज का अपना एतेहास है, चाहे वो इतर से जुड़ा है, एक समय एसा था जब देश की राजधानी कन्नोज थी,
- हमें और कनोज के रहने वालो को ये बात का गर्व है की जो कुम्भ हो रहा है कही न कही उसका इतिहास यही से जुड़ा है और देश की सबसे अच्छी सड़क भी यही कन्नौज से ही निकल कर जा रहे है
- आलू के मामले में भी हम देश के तमाम जिलो के बराबर है
- तो इधर ये समाजवादियों ने ये जहाँ ला के छोडा था उसके बाद भी वो आगे नहीं बड़ा है
- इस लिये में आप से निवेदन भी करूँगा की फिर से समाजवादियों को लाईये जिससे काम फिर उसी रफ़्तार से चले
अखिलेश यादव जी से ट्विटर के माध्यम से 5 सवाल पूछे गए
पहला सवाल – बेरोजगारों की आवाज – बीजेपी का विकलप अखिलेश जी केवल आप है और आज के समय में अगर युवाओं की भागेदारी है, अगर युवाओ को मोका मिला है तो समाजवादी पार्टी में मिला है और सबसे अधिक भरोसा और सबसे अधिक कोई लोक प्रिय है तो आप है और सबसे अधिक अगर बीजेपी अगर डर रहे है तो वो आप से ही डर रही है
अखिलेश यादव – मुझे खुशी है की सबसे पहला सवाल जो पूछा गया, वो बेरोजगारी को लेकर पूछा गया है अगर हम नयी पीढ़ी को सपने नही दिखा सकते है तो हमारे भारत का भविष्य उतना अच्छा नही हो सकता है जितना हम चाहते है। जहाँ तक बेरोजगारी का सवाल है तो जब तक बड़े काम नहीं होंगे, बड़ी सड़के बने, बड़ी अस्पताल बने, बड़ी यूनिवर्सिटी बनी और ऐसी नीतिया बने जिससे कारोबार और कारखाना बनाने वाले लोग भारत में आये, एक बार ये सपना दिखाया गया की सब चीज भारत में बनेंगी
अभी कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर मीट हुई
बड़े – बड़े उद्योग पति बुलाये गए लेकिन देश की जमीन पर अभी तक कोई नहीं उतरा है सुनने में तो ये आया है की जो उद्योग पति और कारखाने लगाने वाले आये थे उनको लाइसेंस तक दे दिया है की वो पड़ोसी देश से सामान आप के देश में ले आये, आज बाजार एक है दुनिया एक है कही न कही हमें बड़े काम करने पड़ेंगे और अगर हमने बड़े काम नही किया तो न हम बेरोजगारों को काम दे पाएँगे और न नौकरियां दे पाएंगे और सबसे बड़ा सवाल ये है की हमारे यहाँ सबसे जादा आबादी जो है गाँव में रहती है वो खेती पर निर्भर है, अगर हम उनसे कहे की आप इस वर्ष धान न करे कोई दुसरे फसल करे तो वो तैयार नही होंगे
जो किसान कर रहे है अगर उसको ठीक कीमत मिल जाये तो हमारा किसान खुशहाल हो सकता है
उससे हमारे ग्रामीण छेत्रो में रहने वाले नौजवान को आगे बढ़ने का मोका मिल सकता है , इस लिये सड़क किनारे मंडिया बना रहे थे अगर मंडिया बन जाती तो किसान को सही कीमत मिल जाती, सवाल गायों का है कुछ दिन पहले जितने भी अधिकारी है सब उनको पकड़ने में लगे थे, यहाँ पर काऊ मिल का प्लांट लगने वाला था और मैने कहा था की यहाँ पर जो गाये का दूध आये गा उससे हमें 4 रूपये जादा दे कर भैंस के दूध लेना पड़ा तो हम लेंगे, अगर ये व्यवस्था बन जाये तो उससे किसान की पैदावार को भी बड़ा देगा और गाये भी बच जाएँगे इस लिये हमें सरकार में आना जरुरी है और मोका मिला तो हम इससे भी अच्छा कर के दिखायेंगे, अगर हमने सुझाव अभी दे दिया तो बीजेपी वाले नकल कर लेंगे
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