2019 के लोकसभा चुनावों के पहले होने वाले मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने पूरी ताकत से उतरने की तैयारी कर ली है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों उत्तर प्रदेश से बाहर पार्टी के संगठन को मजबूती दे रहे हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने गुजरात और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव लड़ने के साथ की थी जहाँ उसे अच्छे मत प्राप्त हुए थे। अब यूपी से सटे पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में सपा ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हालाँकि इस विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा के एकसाथ चुनाव लड़ने की बातें हो रही थी लेकिन अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वयं अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
बसपा की जिद के कारण लिया फैसला :
लखनऊ में मध्यप्रदेश सपा इकाई के पदाधिकारियों की बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सिर्फ उतना ही झुकना मुमकिन है, जितना रीड़ की हड्डी इजाजत देती है। सपा की इस बैठक में मौजूद कानपुर के सपा नेता ने बताया कि यह टिप्पणी बसपा प्रमुख मायावती की बढ़ती जिद के मद्देनजर थी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा की एमपी के विधानसभा चुनावों में ज्यादा सीटों की मांग के कारण और झुकने से इंकार कर दिया है।
समाजवादी पार्टी की बैठक में सपा अध्यक्ष ने अब अकेले चुनाव लडऩे का ऐलान करते हुए सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। लखनऊ आये मध्यप्रदेश इकाई के पदाधिकारियों को चुनावी तैयारियां करने का आदेश दिया गया है। अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं। यह फैसला फिलहाल मध्यप्रदेश राज्य के संदर्भ में किया गया है।
कर्नाटक में है बसपा का मंत्री :
कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार में राज्य में बसपा के इकलौते विधायक एन महेश को मंत्री बनाया गया था। ऐसा तब हुआ जब कि जेएडीएस और कांग्रेस अपने दम पर बहुमत जुटा चुकी हैं और बसपा के साथ रहने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। सपा की नजरों में कमजोर कांग्रेस बसपा के विधायक को मंत्री बनाये जाने को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने की रणनीति के तौर पर देख रही है। देखना है कि मध्य प्रदेश में सपा और बसपा अलग लड़कर कैसा जादू करते हैं।