2019 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हो गया है। किसी को भी यकीन नहीं था कि 90 के दशक में हुए गेस्ट हाउस काण्ड के बाद दोनों दल कभी साथ आयेंगे मगर दोनों दल साथ आये और गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में भाजपा को उसी के गढ़ में हराने का काम किया। इस बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक मीडिया इंटरव्यू में खुलासा किया है कि किस तरह उनकी बसपा सुप्रीमों मायावती से मुलाकात हुई और गठबंधन पर बात आगे बढ़ी।
अखिलेश ने किया खुलासा :
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोरखपुर और फूलपुर संसदीय उप चुनावों में सपा और बसपा के बीच हुई दोस्ती को साल 2019 के आम चुनावों तक जारी रखने की बात कही है। मीडिया चैनल से बातचीन मेंअखिलेश ने बताया कि बुआ मायावती से पहले फोन पर बातचीत हुई थी। इसके बाद दुआ-सलाम से बात आगे बढ़ी तो दिल्ली में कांग्रेस के लंच पर बैठकर 25 साल पुरानी दोस्ती को फिर से आगे बढ़ाने पर सहमति बन गई। उन्होंने कहा कि पहले बात बैक चैनल के जरिए शुरू हुई फिर मैंने मायावती जी को फोन किया। इसके बाद कांग्रेस के निमंत्रण पर दिल्ली में साथ बैठे और लंच किया। वहां बहुत सारी बातें हुईं। उन्होंने कहा कि इसके बार आखिर में सपा और बसपा के गठबंधन पर मुहर लग गयी।
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दोनों पार्टियाँ चाहती थी गठबंधन :
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि दोनों ही पार्टियों के नेता, कैडर और वोटर इस गठबंधन के पक्ष में थे। बसपा और सपा के बीच 25 साल पुरानी कड़वाहट पर अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी की स्थापना नेता जी मुलायम सिंह यादव ने की थी लेकिन अब पार्टी नए कलेवर में है। उन्होंने कहा कि गठबंधन की मजबूती के लिए हमें पिछला इतिहास भूलना होगा। लखनऊ में 2 जून 1995 को हुए गेस्ट हाउस कांड के बाद से दोनों ही पार्टियों के बीच रिश्ते कड़वे रहे हैं। इस काण्ड के बाद से हर चुनाव इन लोगों ने अकेले लड़ा है मगर 2019 में मोदी लहर को रोकने के लिए दोनों पार्टियाँ एक साथ आयी हैं।