2019 के लोकसभा चुनावों की समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा अखिलेश यादव ने यूपी के जिलों का दौरा करते हुए संगठन को मजबूती देना शुरू कर दिया है। मोदी लहर को किसी भी कीमत पर रोकने के लिए अखिलेश यादव ने बसपा के साथ गठबंधन पर कर लिया है। इसी क्रम में वे 10 साल बाद कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जिसके बाद सियासी गलियारों में नए समीकरण बने दिखायी दे रहे हैं।
10 साल बाद चुनाव लड़ेंगे अखिलेश :
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐलान कर दिया है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। 10 साल बाद पहला मौका होगा कि अखिलेश फिर चुनावी मैदान में होंगे। हालांकि अभी तक सीट को लेकर अखिलेश यादव ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। संभावनाएं हैं कि अखिलेश पत्नी डिंपल यादव के संसदीय क्षेत्र कन्नौज से ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। ऐसा इसलिए माना जा रहा क्योंकि डिंपल से पहले ये सीट उन्हीं के पास हुआ करती थी। अखिलेश के इस कदम के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। बसपा के साथ गठबंधन के बाद की बदली परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अखिलेश ने ये फैसला लिया है।
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कन्नौज से शुरू की थी राजनीति :
अखिलेश यादव का विधान परिषद का कार्यकाल खत्म होने के बाद से उनके कन्नौज की सीट से लड़ने को लेकर सत्ता के गलियारे में चर्चाएं तेज हो गई थीं। डिंपल यादव के सांसद बनने से पहले कन्नौज सीट अखिलेश यादव के ही पास थी। पहली बार कन्नौज सीट से ही अखिलेश यादव ने राजनीति में कदम रखा था। अखिलेश यादव ने 2009 तक यहां अपनी जीत बरकरार रखी थी। 2012 में समाजवादी पार्टी सत्ता में आई और अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया। उनके द्वारा खाली की गयी सीट पर डिंपल निर्विरोध चुनाव जीतीं थी। 2014 में भी डिंपल यहां से जीत हासिल करने में सफल रहीं।