आला हजरत दरगाह ने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा चीफ हाफिज सईद पर फतवा जारी किया है। इस कड़ी में सुन्नी बरेलवियों के मरकज दरगाह आला हजरत से बड़ी मुहिम छेड़ी गई है। सुन्नी उलमा की जद्दोजहद न केवल आतंक की मजम्मत है, नौजवान पीढ़ी को गुमराह होने से बचाना भी मकसद है।
पत्र भेजकर पूछा सवालः
- सौदागरान दरगाह आला हजरत बरेली के मुफ्ती मुहम्मद सलीम बरेलवी, दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम से जयपुर के मोहम्मद मोईनुद्दीन ने 12 अगस्त को पत्र भेजकर सवाल पूछा था।
- उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का संस्थापक हाफिज सईद लोगों को खून-खराबे और आतंकी घटनाएं करने के लिए उकसाता है।
- क्या ऐसा शख्स मुसमलान कहलाने का हक रखता है?
- क्या ऐसे शख्स को मुसलमान माना जा सकता है?
- ऐसे शख्स की बातों और तकरीरों को सुनना कहां तक जायज है?
विनाश काले विपरीत बुद्धि – योगी आदित्यनाथ।
जारी हुआ फतवाः
- मुफ्ती सलीम ने फतवे में साफ किया है कि अल्लाह और रसूल की शान में गुस्ताखी करने वाले इस्लाम से खारिज हैं।
- जो उन्हें मुसलमान माने, वे भी काफिर हैं।
- उनके साथ सलाम व कलाम जैसा कोई भी ताल्लुक रखना हराम है।
- इनकी बातों को सुनना और उन्हें मुसलमान मानना नाजायज है।
- हाफिज सईद आतंकी विचारधारा रखने वाला शख्स है।
- वो अपनी आतंकी गतिविधियों से इस्लाम और मुसलमानों को पूरी दुनिया में बदनाम और शर्मसार कर रहा है।
- ऐसे शख्स को न मुसलमान मानें और न उसकी किसी बात पर यकीन करें। वह गैर इस्लामी है।
- उससे किसी किस्म का कोई ताल्लुक न रखें, खुद भी उससे दूर रहें और अपने लोगों को भी इससे दूर रखें।
विचारधारा में अंतरः
- वहाबी विचारधारा और सुन्नी विचारधारा में काफी अंतर देखा जाता है।
- युवाओं को भटकाने के लिए कुरान और हदीस का हवाला देकर जिहाद की गलत व्याख्या की गई है।
- कुरान की आयतों का अनुवाद आतंकी सोच को आगे रखकर किया गया है।
- वहाबियों का मत है कि जो हमारी विचारधारा न माने, उसे मारना, पीटना जायज है।