इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खण्ड पीठ ने आज एक अहम फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राष्ट्रगान गाने से छूट के सम्बन्ध में दायर याचिका ख़ारिज कर दी थी.
मदरसों में राष्ट्रगान गाना हुआ अनिवार्य:
- हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं है.
- हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के गौरवशाली इतिहास का द्योतक है.
- मऊ के अला उल मुस्तफा की याचिका खारिज को हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था.
याचिकाकर्ता जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट:
- वहीँ इस बाबत जब याचिकाकर्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट भी है.
- सरकार इस तरह 15 अगस्त और 26 जनवरी पर मदरसों को राष्ट्र गान गाने का फरमान के खिलाफ मैंने याचिका डाली थी.
- ऐसा नहीं है की हम इस कार्यक्रम को पहले नहीं करते थे.
- परन्तु सरकार को ऐसा फैसला लेने से पहले हम सब की राय भी लेना चहिये था.
- उन्होंने कहा कि इसके पहले की हुकूमत ने कोई दबाव नहीं बनाया था.
- उन्होंने कहा कि ‘जन-गण-मन पढ़ने का दबाव बनाया गया.
- अपने वतन की तारीफ करते रहे हैं लेकिन इसके लिए दबाव बनाया जा रहा है.
- ये एक नयी चीज है और इसके लिए अपने ऐतराज जताया था.
- वहीँ उन्होंने कहा कि इससे धर्म का लेना-देना नहीं है.
- ये एक अलग मसला है और हम हर साल आजादी मनाते रहे हैं.
https://youtu.be/FzwcDWeD9cg
पिछली सरकारों में कोई दबाव नहीं था:
- इसके लिए उन्होंने किसी से सहयोग नहीं लिया और न कोई आया.
- उन्होंने कहा कि देश में सुप्रीम कोर्ट भी है.
- इसपर वो विचार करेंगे कि वहां जाएँ या नहीं जाएँ.
- उन्होंने कहा कि लेटर हर बार आता था आजादी मनाने के लिए लेकिन जन-गण-मन के लिए नहीं था.
- उन्होंने कहा कि वो कोई देश के खिलाफ जाकर काम नहीं कर रहे हैं.
- हम देश के कानून से ही इसपर मदद ले रहे हैं.
- उन्होंने कहा कि उनको कोई राष्ट्रगान के लिए आपत्ति नहीं है लेकिन इसके लिए दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए था.
- इसी दबाव के खिलाफ वो कोर्ट गए थे.
- उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने राष्ट्रगान के लिए दबाव नहीं दिया.
- इस सरकार ने दबाव बनाया और ये नहीं चीज है.
- मौलाना का कहना है कि उन्होंने किसी से मशवरा नहीं लिया.
- मौलाना ने बताया कि हिंदी, इंग्लिश, हदीस कुरान, विज्ञान और कंप्यूटर आदि पढ़ाया जाता है.
- उन्होंने कहा कि उनके मदरसे में इस प्रकार का कोई दबाव नहीं था.
मदरसों को राष्ट्रगान गाने से छूट नहीं:
- योगी सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई.
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ये राष्ट्र से जुड़ा मामला है.
- हाईकोर्ट ने कहा राष्ट्र गान और राष्ट्र ध्वज का सम्मान करना सवैधानिक कर्तव्य है.
- जाति, धर्म और भाषा के आधार पर इसमें भेद नहीं किया जा सकता है.
- याचिकाकर्ता अलाउल मुस्तफा ने दाखिल की थी याचिका.
- 6 सितम्बर 2017 के योगी सरकार के आदेश को चुनौती दी गई थी.
- गौरतलब है कि सीएम योगी ने मदरसों को राष्ट्रगान गाने का आदेश दिया था.
- इसके साथ ही योगी सरकार ने स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों की रिकॉर्डिंग भी मांगी थी.
- सरकार ने स्पष्ट किया था कि मदरसों को ये वीडियो भेजना होगा अन्यथा मदरसों को दिया जाने वाला अनुदान रोका भी जा सकता है.
- वहीँ सरकार ने अब मदरसों को डिजिटल करने का प्लान भी बनाया है.
- सभी मदरसों से जुड़ी जानकारियाँ ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध करानी होंगी.
- इसके लिए सरकार ने पोर्टल सेवा शुरू भी कर दी थी.