बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने राज्य में शराब पर पूरी तरह बैन करने का ऐलान भले ही कर दिया हो लेकिन उत्तर प्रदेश में आज भी शराब पीने की चाहत रखने वाले बिना किसी वाद-विवाद के महंगी शराब खरीद रहे है। अखिलेश सरकार ने आबकारी राजस्व बढ़ाने के लिए शराब की बिक्री में 25 फीसदी की छूट का शासनादेश जारी कर शराब के मूल्यों को कम करने को प्रयास तो किया था लेकिन वो स्वयं ही अपने आदेशों का पालन करवाने में असमर्थ साबित हुए। वहीं, दूसरी ओर जिलाधिकारी राजशेखर व आबकारी आयुक्त विभाग भी सरकार के शासनादेशों को ताक में रखते हुए आराम फरमाइश में मस्त हैं। इसका फायदा उठाते हुए राजधानी में शराब कारोबारी पुराने रेट में न केवल शराब की बिक्री कर रहे हैं, बल्कि 10 से 20 रुपये की अवैध वसूली भी खुलेआम कर रहे हैं। इसकी जानकारी होने के बावजूद भी आबकारी विभाग अनजान बनने का नाटक कर रही है।
बताते चलें कि 1 अप्रैल से शराब की बिक्री में 25 प्रतिशत छूट का शासनादेश जारी किया है, लेकिन शासन के आदेशों का पालन कराने में डीएम व आबकारी आयुक्त भी फेल हो रहे हैं। सरकार के आदेशों के बावजूद अधिकारियों ने दुकानदारों के खिलाफ न तो कोई अभियान चलाया है और न ही स्वयं जाकर निरीक्षण करने की जरुरत समझी है। इस वजह से रोजाना राजस्व को तकरीबन 50 से 60 लाख रुपये की होने वाली शराब बिक्री से जमकर कमाई की जा रही है।
जिला आबकारी अधिकारी जेबी यादव का कहना है कि विभाग को अधिक रेट पर शराब बिक्री करने की सूचना मिली थी। इस पर गोपनीय तरह से निरीक्षण किया गया, लेकिन ऐसा करता कोई भी दुकानदार नहीं पकड़ा गया। अभी नये रेट के शराब स्टाक कम मात्रा में ही उपलब्ध हो पा रहे हैं। हो सकता है कि पुराने स्टॉक को निकालने के चक्कर में शराब कारोबारी पुरानी रेट पर शराब बिक्री की हो, लेकिन पुराने स्टॉक भी कम ही बचें हैं। इन पर विभाग अपनी नजर बनाये हुए है। यदि ऐसा करता कोई भी दुकानदार पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। शासनादेश को लेकर विभाग पूरी तरह से सतर्क है। किसी तरह की सूचना मिलती है तो संबंधित के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जायेगी।