उत्‍तर प्रदेश सरकार ने 15 जुलाई 2018 से प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन लगा दिया है। ऐसा कानून बनाने वाला उत्तर प्रदेश अब देश का 19 राज्य बन गया है। ऐसा करने वाला यूपी देश का 19वां राज्य बन गया है। पूरे प्रदेश में प्लास्टिक बैन 15 जुलाई से लागू हो गया है। सभी जिला अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि पॉलिथीन बैग को पूर्ण रूप से बंद कराकर जिले को प्रदूषण मुक्त किया जाए। बैन का आदेश न मानने वालों को छह महीने कैद और अधिकतम एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। पॉलिथीन के खिलाफ जंग में हरियाणा और महाराष्ट्र में प्लास्टिक बैन के फार्मूले को अपनाया जा रहा है।

प्लास्टिक बैन को सफल बनाने के लिए बनाया गया प्लान :

उत्तर प्रदेश में पॉलिथीन पर प्रतिबंध के लिए 15 जुलाई से ​50 माइक्रॉन तक की पॉलिथीन और उससे बने उत्पाद को बैन किया गया है। महीने भर बाद दूसरा चरण 15 अगस्त से लागू किया जाएगा। 15 अगस्त से प्रदेश में प्लास्टिक और थर्मोकोल से बनी थाली, कप, प्लेट, कटोरी, गिलास के प्रयोग को प्रतिबंधित किया जाएगा। इसके बाद 2 अक्टूबर से यूपी में सभी तरह के नॉन डिस्पोजेबल प्लास्टिक उत्पादों को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।

प्लास्टिक निर्माताओं पर होगी कार्यवाई :

विभाग के मुताबिक, अलग-अलग श्रेणियों के लिए प्रतिबंधित पॉलीथीन के इस्तेमाल पर अधिकतम जुर्माना तय किया गया है। सरकार ने पॉलिथीन निर्माताओं पर नकेल करने की तैयारी की है। इसके तहत लाइसेंस व्यवस्था लागू किए जाने की योजना है जिसे बहुत जल्द ही लागू किया जाएगा।

नगर निगमों में चलेगा अभियान :

प्लास्टिक बैन को सफल बनाने के लिए जिला स्तर पर टीमें गठित की जा रही हैं। प्रदेश के सभी नगर निगमों में अभियान चल रहा है। इसमें प्रदेश के दूसरे विभाग शामिल हैं। इस अभियान की लगातार मॉनीटरिंग भी की जा रही है। इसके तहत डीएम की ओर से अभियान की रिपोर्ट शासन को रोजाना भेजी जाएगी। इसमें छापेमारी के दौरान फोटो, ​वीडियो के साथ जुर्माने का पूरा ब्योरा देना होगा।

पहले भी हो चुकी है पॉलिथीन बैन :

2015 में भी सपा सरकार ने पॉलिथीन पर बैन का आदेश दिया था। एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट को मंजूरी देते हुए अखिलेश सरकार का ये फैसला अमल में नहीं आ सका था। इसके बाद 21 जनवरी को अदालत के आदेश पर पूरे उत्तर प्रदेश में पॉलिथीन पर बैन लगाया गया। यूपी सरकार ने इसके उल्लंघन पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा 19 के तहत पांच साल की सजा या एक लाख रुपये जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान रखा था।

उत्पादकों ने निकाल लिया था जुगाड़ :

तत्कालीन सपा सरकार ने प्रदेश भर में अभियान चलाकर बड़ी संख्या में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद किया था लेकिन जब्त की गई पॉलिथीन के निस्तारण की कोई रणनीति नहीं होने के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया। 50 माइक्रोन से नीचे की ही पॉलिथीन बैन होने का ​आदेश आया तो पॉलिथीन पैकेट पर 51 माइक्रोन लिखा जाने लगा। इसकी गुणवत्ता चेक करने का कोई यन्त्र विकसित न होने के कारण इसकी बिक्री आजतक जारी रही थी।

यूपी में हैं 2000 से ज्यादा फैक्ट्रिया :

उत्तर प्रदेश में पतली पॉलिथीन का कारोबार लगभग 100 करोड़ रुपये का है। यहाँ के 6 प्रमुख शहरों में प्लास्टिक से बने उत्पादों का धड़ल्ले से उत्पादन हो रहा है। इनमें राजधानी लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ, आगरा और सहारनपुर शामिल हैं। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो अकेले राजधानी लखनऊ में ही करीब 50 टन से अधिक पॉलिथीन या कैरी बैग की डेली खपत है। राजधानी में करीब 60 और प्रदेश में 2000 से अधिक फैक्ट्रियों में इनका निर्माण हो रहा है। इन शहरों से पूरे प्रदेश में पॉलिथीन की सप्लाई की जा रही है।

प्लास्टिक बैन का विरोध :

गाजियाबाद में 14 जुलाई को व्यापारियों ने यूपी में पॉलिथीन बैन पर एतराज जताया है। पॉलिथीन बैग पर बैन के अमल पर सवाल उठाते हुए जिले के छोटे व्यापारियों का कहना था कि अगर सरकार को पॉलिथीन बैन ही करना है तो सबसे पहले फैक्ट्रियों और विक्रेताओं पर पॉलिथीन बनाने और बेचने पर प्रतिबंध लगाए, क्योंकि छोटे दुकानदार उनसे ही पॉलिथीन खरीदते हैं ?

प्लास्टिक से होता है बड़ा नुकसान :

भारत सरकार के अनुसार, रोजाना एक करोड़ से ज्यादा प्लास्टिक के थैले इस्तेमाल कर फेंका जाता हैं। हर साल ढ़ाई लाख टन प्लास्टिक बतौर अवशिष्ट सामने आते हैं। इससे पानी का बहाव रुकने के साथ ही भूमि प्रदूषण से कृषि भी प्रभावित होती है। हजार साल तक नष्ट नहीं किए जा सकने वाले ऐसे उत्पादों की वजह से जैवविविधता को भी व्यापक नुकसान पहुंचता है।

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